देश की अर्थव्यवस्था आजादी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट की ओर बढ़ रही है. सरकारी अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष ( 2020-21) में जीडीपी में 7.7 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की जा सकती है. सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने पहले पूर्वानुमान में कहा है कि कृषि को छोड़ कर इकनॉमी के हर सेक्टर में गिरावट दर्ज की जाएगी.


गिरावट आरबीआई के अनुमान के लभग बराबर


एनएसओ की ओर से जारी पू्र्वानुमान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से इकनॉमी में गिरावट के अनुमान के लगभग बराबर हैं. आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान इकनॉमी में 7.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था. हालांकि यह पहले के अनुमान से बेहतर स्थिति है क्योंकि इससे पहले जीडीपी में 9.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया था.


कोरोना संक्रमण से पहले ही शुरू हो गया था गिरावट का दौर


कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. दूसरी तिमाही में 7.5 फीसदी की गिरावट आई थी और भारतीय अर्थव्यवस्था पहली बार टेक्निकल रिसेशन यानी मंदी के दौर में फंस गई थी . लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी में गिरावट से अर्थव्यवस्था टेक्निकल मंदी के दौर में चली जाती है.


कोरोना संक्रमण के शुरू होने से पहले ही अर्थव्यवस्था में गिरावट का दौर शुरू हो गया था. 2017-18 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी थी लेकिन 2018-19 में यह 6.1 फीसदी पर पहुंच गई लेकिन 2019-20 में इसमें भारी गिरावट आई और यह 4.2 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान गिरावट का जो अनुमान लगाया गया है वह आजादी के बाद सबसे बड़ी गिरावट होगी. इससे पहले 1979-80 में इकनॉमी में 5.24 फीसदी की गिरावट आई थी.


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