GJEPC Report: भारत की जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री (Gems and Jewellery Industry) भारी सुस्ती का सामना कर रही है. इंडस्ट्री के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों में जबरदस्त गिरावट आई है. अगस्त के दौरान कुल एक्सपोर्ट 16884.17 करोड़ रुपये रहा है. यह एक साल पहले के 20524.78 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.79 फीसदी कम है. इसके लिए ग्लोबल आर्थिक सुस्ती और मिडिल ईस्ट समेत यूक्रेन में चल रहे तनाव को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री ने पहले भी इस मंदी के संकेत दिए थे. सेक्टर की एक दिग्गज कंपनी ने हाल ही में अपने हजारों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया था.


जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री को फेस्टिव सीजन से बहुत उम्मीदें


इंडस्ट्री की संस्था जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (GJEPC) के आंकड़ों के अनुसार, खरीदारों ने कई कारणों के चलते उद्योग से फिलहाल दूरी बना ली है. अगस्त, 2024 में कुल इंपोर्ट 12160.64 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले की समान अवधि में कुल इंपोर्ट 16704.96 करोड़ रुपये था. इसमें करीब 28.19 फीसदी की गिरावट आई है. अब जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री को फेस्टिव सीजन से बहुत उम्मीदें हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सुस्ती की चपेट में आई इस इंडस्ट्री में त्योहारों के दौरान डिमांड बढ़ने से नई जान फूंकी जा सकती है. 


60 देशों में होने जा रहे चुनाव, इसके बाद आएगा बदलाव  


कामा ज्वेलरी (Kama Jewelry) के एमडी कॉलिन शाह (Colin Shah) ने कहा कि आने वाले दिनों में दुनिया के लगभग 60 देशों में चुनाव होने वाले हैं. विभिन्न प्रतिबंधों के चलते कारोबार में कुछ समय के लिए मंदी देखी जा सकती है. हालांकि, चुनाव निपटने के बाद स्थिति सामान्य होने की पूरी उम्मीद है. इससे डिमांड फिर बढ़ सकती है. ​​हमें उम्मीद है कि घरेलू बाजार में पिछले साल की तुलना में डिमांड 10 से 15 फीसदी बढ़ सकती है.


डायमंड, गोल्ड ज्वेलरी और जेमस्टोन की डिमांड भी घटी 


जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 में कटे और पॉलिश किए गए डायमंड के एक्सपोर्ट में 23.8 फीसदी और इंपोर्ट में 35.55 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा कच्चे हीरे का इंपोर्ट 22.58 फीसदी घटा है. पॉलिश किए गए लैब में विकसित हीरे के एक्सपोर्ट में 15.30 फीसदी और गोल्ड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट 1.15 फीसदी घटा है. इसके अलावा जेमस्टोन एक्सपोर्ट में 19.91 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.


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