Costly Loan: इस सरकारी बैंक से लोन लेना हुआ महंगा, MCLR रेट में इजाफा, देखें लेटेस्ट रेट ऑफ इंटरेस्ट
MCLR Hike: इंडियन ओवरसीज बैंक अपने ग्राहकों को 6.95 प्रतिशत से 7.55 प्रतिशत के बीच में MCLR रेट्स ऑफर कर रहा है. पहले अधिकतम MCLR रेट 7.45 प्रतिशत था जिसे बढ़ाकर अब 7.55 प्रतिशत कर दिया गया है.
Indian Overseas Bank MCLR Hike: रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बढ़ोतरी (RBI Repo Rate Hike) के बाद से ही लोगों के ऊपर लोन की ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ा है. इस फैसले के बाद से ही कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया है. अब इस लिस्ट में एक और बैंक का नाम जुड़ गया है. यह बैंक है इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank). बैंक ने अपने एमसीएलआर रेट्स (MCLR Rates) यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (Marginal Cost of Lending Rates) में बढ़ोतरी का फैसला किया है. इसका सीधा असर बैंक द्वारा ऑफर की जाने वाली ब्याज दरों पर पड़ेगा. यह नई MCLR रेट्स आज से यानी 10 जुलाई 2022 से लागू को गई है.
बैंक ऑफर कर रहा इतना MCLR रेट
इंडियन ओवरसीज बैंक अपने ग्राहकों को 6.95 प्रतिशत से 7.55 प्रतिशत के बीच में MCLR रेट्स ऑफर कर रहा है. पहले अधिकतम एमसीएलआर रेट 7.45 प्रतिशत था जिसे बढ़ाकर अब 7.55 प्रतिशत कर दिया गया है. यह रेट एक साल के लिए हैं. वहीं 1 दिन से लेकर 6 महीने के लिए एमसीएलआर रेट 6.95-7.50 प्रतिशत तक है. इस बढ़ोतरी का सीधा असर ऑटो लोन (Auto Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan), होम लोन (Home Loan) आदि लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा. वहीं दो साल के लिए एमसीएलआर रेट 7.55 प्रतिशत कर दिया गया है. इसमें भी 0.10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
RLLR रेट में भी की गई बढ़ोतरी
इसके साथ ही इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) ने RLLR रेट यानी रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट में भी इजाफा कर दिया है. अब बैंक की नई रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट है 7.75 प्रतिशत हो गई है. यह नई दरें भी आज से ही लागू हो जाएंगी.
MCLR बढ़ने से क्यों महंगा होता है कर्ज?
कोई भी बैंक अपनी ब्याज दरों को मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट के बेसिस पर तय करता है. MCLR के बढ़ने और घटने पर ही ग्राहकों की ईएमआई तय होती है. रिजर्व बैंक के रेपो रेट (RBI Repo Rate) में बदलाव के बाद ही बैंक अपने एमसीएलआर की दरों में बदलाव करते हैं. अगर बैंक का MCLR ज्यादा है तो ग्राहकों को ज्यादा ब्याज दर देना होगा और एमसीएलआर कम होने पर कम ब्याज दर के आधार पर ईएमआई देना होगा.
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