रेलवे को भारत की लाइफलाइन (Lifeline) माना जाता है. हर दिन लाखों यात्री ट्रेन से ट्रैवल करके अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. ऐसे में रेलवे की यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है कि यात्रियों का सफर सुरक्षित हो. रेलवे पिछले कुछ सालों ने यात्री सुरक्षा के लिए बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है. 


ऐसी ही एक तकनीक है जिसका नाम है कवच  टेक्नोलॉजी (Kavach Technology).इस तकनीक का टेस्ट शु्क्रवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railways Minister Ashwini Vaishnaw) में किया गया. यह ट्रायल पूरी तरह से सफल रहा. इस ट्रायल को लिंगमपल्ली-विकाराबाद स्टेशन जो कि दक्षिण मध्य रेलवे में स्थित है.


क्या है कवच टेक्नोलॉजी?
आपको बता दें कि कवच टेक्नोलॉजी पूरी तरह से स्वेदेशी टेक्नोलॉजी है. यह एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम (automatic train protection system) है जिसमें दो ट्रेनों की आमने सामने की टक्कर को होने से रोकता है. यह पूरी तरह से भारत में बना है. 






इस तकनीक के जरिए ट्रेनों की टक्कर को रोकर सफर को ज्यादा सुरक्षित बनाने का रेलवे का प्लान है. इस तकनीक में अगर दो ट्रेन आमने सामने आ जाता है और स्पीड कम कर देती है ब्रेक लगाती है ऐसी स्थिति में ट्रेनों में टक्कर नहीं होगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल वित्त वर्ष 2022-2023 में रेलवे के 2000 किलोमीटर के नेटवर्क में किया जाएगा.


इस तकनीक को RDSO ने किया विकसित
आपको बता दें कि कवच रक्षा प्रणाली को देश के RDSO (Research Design and Standards Organisation) और तीन वेंडर्स ने मिलकर डेवलप किया है.इस तकनीक से यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्लान रेलवे का है. कवच सिस्टम के द्वारा ट्रेन में TCAS (Train collision Avoidance system) को लगाया गया है जिससे दो ट्रेनों की बीच टक्कर होने से रोका जा सकेंगे. इस तकनीक में सिस्टम माइक्रो प्रोसेसिंग (System Micro Processing), रेडियो कम्युनिकेशन (Radio Communication) और  ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (Global Positioning System) तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है.


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