Railway Revenue: भारतीय रेलवे को हो रहे नुकसान के कम होने की खबर आई है. रेलवे की ओर से यात्री किरायों में छूट को निलंबित किए जाने के चलते इन छूट से होने वाला नुकसान 2020-21 के दौरान घटकर 38 करोड़ रुपये रह गया. इससे पहले के वित्त वर्ष में ये नुकसान 2059 करोड़ रुपये था. दरअसल कोरोना वायरस महामारी के दौरान इंडियन रेलवे ने यात्री किरायों में छूट को निलंबित कर दिया था. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है.


किरायों में दी जा रही छूट से रेलवे की ऑपरेशनल कॉस्ट पर पड़ रहा असर
रेल मंत्री ने यह भी कहा कि रेल किरायों में काफी छूट दी जा रही है और इससे आने वाला राजस्व भारतीय रेल की परिचालन लागत या ऑपरेशनल कॉस्ट से कम है. मंत्री के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में किरायों में छूट से होने वाला नुकसान 2059 करोड़ रुपये था. कोरोना महामारी के दौरान कई तरह की छूट निलंबित किए जाने से पिछले वित्त वर्ष में नुकसान घटकर 38 करोड़ रुपये तक पहुंचा.


सीनियर सिटीजंस कंसेशन भी हुआ था खत्म
दरअसल कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने ट्रेन में सफर करने के लिये बुजुर्गों को दी जाने वाली रियायत या किराए में छूट को निलंबित कर दिया जो अभी भी अमल में है. इसके बारे में एक आरटीआई दाखिल की गई थी जिसके जवाब में सरकार की तरफ से ये जानकारी दी गई कि कोरोना महामारी के बाद रेल सफर करने वाले लगभग चार करोड़ सीनियर सिटीजंस को अपनी यात्रा के लिए पूरे किराए का पेमेंट करना पड़ा. भारतीय रेलवे ने इस जानकारी के तहत बताया कि 22 मार्च, 2020 से सितंबर 2021 के बीच तीन करोड़ 78 लाख 50 हजार 668 (3,78,50,668) सीनियर सिटीजंस ने देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए ट्रेनों में सफर किया.


सरकार के इस कदम की हुई खूब आलोचना
बता दें कि सीनियर सिटीजंस सहित को मिलने वाली छूट और अन्य तरह की छूट को खत्म करने के लिए रेलवे की आलोचना भी जमकर हुई लेकिन रेलवे ने इस रियायतों को बहाल नहीं किया. अब जब रेल मंत्री ने ये जानकारी दी है कि 2000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान घटकर 38 करोड़ रुपये रह गया है तो वैसे भी इन छूट को दोबारा शुरू करने का सरकार का मन होगा, ऐसा लगता तो नहीं है. 


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