Indian Railway: ट्रेनों के एसी क्लास में नहीं दिया जा रहा कंबल बेडशीट, सीनियर सिटीजन को रिआयती टिकट की सुविधा भी नहीं
Indian Railways: ट्रेन में यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं से अभी भी रेल यात्री वंचित हैं. रेलने ने एसी क्लास में सफर करने वाले रेल यात्रियों को पहले के समान कंबल और बेडशीट देना शुरू नहीं किया है.
Indian Railway: भारतीय रेल ने कोविड पूर्व की तरह पुराने नंबरों, कैटगरी और रेल किराए के साथ ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया है. लेकिन ट्रेन में यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं से अभी भी रेल यात्री वंचित हैं. रेलने ने अभी तक एसी क्लास में सफर करने वाले रेल यात्रियों को पहले के समान कंबल और बेडशीट देना शुरू नहीं किया है.
लोकसभा में पूछा गया सवाल
दरअसल लोकसभा में सांसद वीणा देवी ने सवाल पूछा था कि कैटरिंग सेवा शुरू किये जाने के बाद क्या रेलवे एसी क्लास में रेल सफर करने वाले रेल यात्रियों को कंबल बेडशीट देना पहले की शुरू कर दिया है? तो इसका जवाब देते हुये रेल मंत्री अश्निनी वैष्णव ने कहा है नो सर. यानि स्पष्ट है रेलवे ने कोविड पूर्व की तरह अपना ऑपरेशन शुरू तो कर दिया है लेकिन ठंड के बावजूद याात्रियों को ट्रेन के भीतर कंबल बेडशीट देना चालू नहीं किया है. जिसके चलते यात्रियों को ये सभी व्यवस्थाएं खुद करनी पड़ रही है. वे घर से कंबल बेडशीट लेकर आ रहे या फिर अलग से भुगतान कर ट्रेन में मिलने वाले डिस्पोजेबल बेडरोल खरीदना पड़ रहा है.
रिआयती टिकट की सुविधा नहीं
रेल मंत्री से ये भी सवाल पूछा गया था कि क्या रेल सफर करने वाले सीनियर सिटीजन और दूसरे कैटगरी के यात्रियों को रियायती टिकट की सेवा शुरू हो चुकी है और अगर नहीं कब तक रिआयती टिकट की सेवा शुरू की जाएगी? इस प्रश्व का जवाब देते हुये रेल मंत्री ने बताया कि महामारी कोविड प्रोटोकॉल के चलते दिव्यांगजन की चार श्रेणियों और मरीजों और छात्रों के 11 श्रेणियों को छोड़कर बाकी सभी कैटगरी के लिये दी जा रही रेलवे की रिआयती टिकट की सुविधा को वापस ले लिया गया है.
बुजुर्गों के लिये रेल सफऱ महंगी
एक तो ज्यादातर सीनियर सिटीजन का कोई इनकम का ठोस जरिया नहीं होता है. उसपर से मार्च 2020 में कोरोनो महामारी ( Covid 19 Pandemic) के शूरू होने के बाद सरकार ने रेल सफर ( Rail Journey) करने के लिये उन्हें दी जाने वाली रियायतों ( Concessions) को निलंबित कर दिया गया है, जो अभी भी असल में है. इससे बुजुर्गों को रेल सफर करने के लिये अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है.