रेल टिकट पर भी छोड़ सकेंगे सब्सिडी: रेलवे लाएगा गिव इट अप पॉलिसी !
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नई दिल्लीः भारतीय रेल अगले महीने से अपने मुसाफिरों से गैस सब्सिडी के तर्ज पर रेल किराये में मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने की अपील करेगा. ऐसी चर्चा जोरों पर थी लेकिन रेलवे के पीआरओ अनिल सक्सेना ने कहा है कि रेलवे ऐसी कोई अपील नहीं करने जा रही है.
अनिल सक्सेना ने बताया, ”फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. सिनियर सिटीजन के कंसेसन मे बदलाव है. पहले दो विकल्प थे..सब्सिडी लेना है या छोड़ना है अब तीन विकल्प दिए जाएंगे. सब्सिडी आधा लेना है, पूरा लेना है या छोड़ना है.”
रेलवे के पीआरओ ने ये साफ किया कि रेलवे पूरी तरह से सब्सिडी छोड़ने की कोई योजना नहीं ला रही है. सीनियर सिटीजन को जो सब्सिडी चुनने के लिए जो विकल्प दिए जाते हैं उसमें थोड़े बदलाव किए गए हैं. इससे आम नागरिक के रेल बजट पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसलिए आपको घबराने और परेशान की जरूरत नहीं है.आपको बता दें कि रेलवे फिलहाल यात्री किराये पर 43 फ़ीसदी की सब्सिडी देता है. चर्चा यह शुरू हुई थी कि सब्सिडी छोड़ने के लिए रेलवे की तरफ से टिकट बुक कराते समय तीन ऑप्शन दिए जाएंगे. जिसमें पूरी सब्सिडी छोड़ने या आधी सब्सिडी छोड़ने की अपील होगी. जबकि तीसरा ऑप्शन होगा कि मुसाफ़िर कोई सब्सिडी छोड़ना नहीं चाहता है.
चर्चा यह थी कि यह फैसला लेने के पीछे 950 रुपये का एक चेक है.
भारतीय रेल को एक मुसाफ़िर ने 950 रुपये का यह चेक भेजा है. दरअसल आजकल जब आप रेलवे रिज़र्वेशन कराते हैं तो आपके टिकट पर लिखा होता है, “ क्या आप जानते हैं कि आपके किराये का 43 फ़ीसद देश के आम नागरिक वहन करते हैं”. यानी कि रेल मुसाफिरों के सफर पर रेलवे 43 फ़ीसदी की सब्सिडी देती है. यह सब्सिडी आम जनता के टैक्स के पैसे से दी जाती है. 950 रुपये के इस ऐतिहासिक चेक के पीछे भी यही कहानी है.
फ़रीदाबाद के अवतार सिंह खेर ने 18 मई को दिल्ली से जम्मू राजधानी का टिकट लिया. जब उन्होंने टिकट पर भी 43 फ़ीसद सब्सिडी की बात लिखी देखी तो उन्हें खयाल आया कि रेलवे को ये पैसे वापस कर देने चाहिए. अवतार सिंह को लगा कि यह लाभ केवल उन लोगों को लेना चाहिए जो आर्थिक रूप से बहुत सक्षम नहीं हैं. फिर अवतार सिंह ने हिसाब लगाया कि उन्हें टिकट पर कितने रुपये की छूट मिली है. यह रकम निकली 950 रुपये. उसके बाद उन्होंने रेलमंत्री के नाम एक चिट्ठी लिखी और 950 रुपये के चेक के साथ रेलमंत्री को भेज दी. यह चेक आईआरसीटीसी के नाम पर है. अब रेलवे के सामने ये समस्या है कि न तो ‘आईआरसीटीसी’ के नाम से कोई बैंक खाता है और न ही कानूनन भारतीय रेल इस पैसे को वापस ले सकता है.
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