रेल मंत्री ने लॉन्च की रेलवे की नई कैटरिंग पॉलिसीः मिलेगा बढ़िया खाना
नई दिल्लीः भारतीय रेलवे ने आज रेल यात्रियों को बड़ा तोहफा दिया है और लंबे इंतजार के बाद अपनी केटरिंग पॉलिसी लॉन्च कर दी है. अब नई पॉलिसी के तहत आईआरसीटीसी अपने बेस किचन से खाना तैयार कराएगी और फिर आउटसोर्स प्रफेशनल कंपनी के जरिए ट्रेनों में पैसेंजरों तक पहुंचाएगी. रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने आज रेलवे की नई कैटरिंग पॉलिसी जारी करते हुए बताया कि फिर से आईआरसीटीसी को देश भर में ट्रेनों में खानपान की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी दी गई है. यात्रियों की लंबे समय से रेल में खराब खाने की शिकायतों को दूर करने के लिए ट्रेनों में भोजन सप्लाई करने की जिम्मेदारी एक बार फिर रेलवे ने अपनी जगह इंडियन रेलवे कैटरिंग ऐंड टूरिजम कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) को सौंप दी है.
क्या होगी पॉलिसी की खासियत?
- रेलमंत्री सुरेश प्रभू ने कहा कि अब यात्रियों को स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना देने की पूरी जिम्मेदारी रेलवे की होगी. अब तक भारतीय रेल ट्रेनों में खाने के लिए निजी कंपनियों को ठेका देती थी.
- सबसे पहले इस पॉलिसी के तहत ये बड़ा काम होगा कि ट्रेनों में खाना नहीं पकाया जाएगा बल्कि ट्रेन की पैंट्री में सिर्फ ऐसी व्यवस्था होगी कि बेस किचन से आया हुआ भोजन गर्म रहे.
- अब आईआरसीटीसी का उन बेस किचन पर सीधा नियंत्रण होगा, जहां खाना पकाया जाता है. अब तक खाना कहां पकेगा और कैसे पकेगा, इसका फैसला कंट्रैक्टर ही करते थे जिसमें बदलाव आएगा. हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के सेवा प्रदाताओं के जरिए यात्रियों तक इस भोजन को पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी. खाना बनाने और परोसने तक का सारा काम हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़ा स्टाफ ही संभालेगा.
- इसमें बाजार की जानी-मानी फूड चेन कंपनियों को जोड़ा जाएगा. नई नीति से रेलवे की एक यूनिट आईआरसीटीसी को 7 साल के बाद फिर से ज्यादातर ट्रेनों में भोजन मुहैया कराने की जिम्मेदारी मिलेगी. नई पॉलिसी के बाद रेलवे किसी ट्रेन में खाना सप्लाई करने के लिए नए लाइसेंस नहीं निकालेगा. पुराने कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद उन ट्रेनों में खाना देने का जिम्मा आईआरसीटीसी के पास आ जाएगा. इससे जिन ट्रेनों में दूसरी कम्पनियों के पास कैटरिंग का ठेका है उसका टाइम पूरा होने के बाद जिम्मेदारी आईआरसीटीसी के पास आ जाएगी.
- नई कैटरिंग पॉलिसी में महिलाओं के सशक्तिकरण के हेतु कैटरिंग ठेकों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था की गई है. कहा जा रहा है कि नई नीति में सामाजिक दायित्व का ध्यान रखते हुए सभी स्टेशनों पर 33 फीसदी स्टॉल महिलाओं को दिए जाएंगे.
साथ ही सभी बेस किचन जोनल रेलवे के अधीन होंगे जिसके तहत सभी जोनल रेलवे के पैंट्री कार सर्विस कॉन्ट्रैक्ट भी आईआरसीटीसी को दिए जाएंगे. इसके अलावा ए-1 और ए केटेगरी के रेलवे स्टेशनों पर चलने वाले जन-आहार और फूड प्लाजा, फूड कोर्ट की जिम्मेदारी भी आईआरसीटीसी के पास होगी.
कैटरिंग सर्विसेज में स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़े जाने की योजना बनाई जा रही है. सभी स्टेशनों पर दूध के स्टॉल्स भी लगाए जाने पर जोर दिए जाने की योजना है. रेलवे का दावा है कि इससे खाने की क्वॉलिटी में सुधार होगा.
मौजूदा कैटरिंग पॉलिसी साल 2010 में लागू की गई थी. 2010 के बाद से चालू हुई पॉलिसी के बाद अब तक खाने की क्वॉलिटी पर सीधे तौर से रेलवे का नियंत्रण नहीं रह गया था. खाना बनाने से लेकर परोसने की जिम्मेदारी भी कंट्रैक्टर के पास थी और ट्रेन में उसी का मैनेजर होता था. माना जा रहा था कि इसी के चलते खाने की क्वालिटी बेहद गिर गई थी.
यहां जानिए कि आपके खाने के लिए रेलवे में क्या-क्या दाम तय किए गए हैं ?
Dear Passengers, Know Your Entitlement @RailMinIndia pic.twitter.com/aeqeqWd6Xh
— IRCTC (@IRCTC_Ltd) February 15, 2017