Hydrogen Train: देश में रेल की पटरियों पर जल्द ही हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें दौड़ने वाली हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस पर खर्च भी ज्यादा है और तकनीकी रुप से भी यह चुनौतीपूर्ण है.
इस सेक्शन पर जल्द शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
हाइड्रोजन ट्रेन को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जिंद-सोनीपत सेक्शन पर चलाने की तैयारी है. इसके लिए मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU)पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल को लगाया जाएगा. ट्रेन की लागत और ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत 111 करोड़ रुपये है. इसे इस साल मई तक लॉन्च किया जाना है. इसकी लागत 16 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन के बराबर है.
35 हाइड्रोजन ट्रेनों पर 2800 करोड़ का खर्च
साल 2023-24 के बजट में विभिन्न हेरिटेज/पहाड़ी मार्गों के लिए 35 हाइड्रोजन ईंधन सेल बेस्ड ट्रेनों के निर्माण के लिए 2800 करोड़ रुपये की लागत को शामिल किया गया. इसके अलावा, हेरिटेज लाइन्स के लिए हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी 600 करोड़ रुपये की लागत को शामिल किया गया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाइड्रोजन ट्रेन प्रोजेक्ट पर खर्च बहुत ज्यादा है. रेलवे ने पर्यटन या हेरिटेज उद्देश्यों के लिए बनाए गए ट्रेनों को छोड़कर ब्रॉड गेज नेटवर्क के सभी 70,000 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण कर लिया है.
हाइड्रोजन ट्रेनों का रनिंग कॉस्ट ज्यादा
भारतीय रेलवे के लगाए गए एक अनुमान के मुताबिक, हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेनों का रनिंग कॉस्ट अधिक होगा. बाद में ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी तो लागत भी कम हो जाएगी. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी कहते हैं कि ग्रीन हाइड्रोजन महंगा है और इसे डीजल या विद्युतीकरण बराबर लाने के लिए कॉस्ट कम करना जरूरी है. रेलवे में रिन्यूएबल एनर्जी से इलेक्ट्रिकल पावर जेनेरेट होने के बाद सीधे ग्रिड के जरिए ओवरहेड इलेक्ट्रिकल उपकरणों में भेजा जाता है, जबकि हाइड्रोजन के मामले में ऐसा कोई विकल्प नहीं है.
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