Chenab Bridge: रेलवे ने दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे ब्रिज पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया है. यह पुल कटरा से बनिहाल तक एक महत्वपूर्ण संपर्क स्थापित करता है और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट का हिस्सा है. जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब रेलवे पुल पर पटरी बिछाने का काम मंगलवार को शुरू हो गया. यह पुल नदी तल से 359 मीटर ऊपर स्थित है.
रेल मंत्रालय ने ट्वीट करके दी जानकारी
भारतीय रेलवे ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए अपने ट्वीट में कहा, यूएसबीआरएल परियोजना में एक और मील का पत्थर! चिनाब ब्रिज पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू. एक बार पूरा हो जाने पर, यह पुल जम्मू और कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों के लिए नई संभावनाएं खोलेगा.
पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा रहेगा चिनाब ब्रिज
रेल अधिकारियों के मुताबिक, इस पुल की लंबाई 1.3 किलोमीटर है जो पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है. पुल का निर्माण कार्य 2004 में शुरू हुआ था, लेकिन क्षेत्र में लगातार तेज हवाओं को देखते हुए रेल यात्रियों की सुरक्षा के पहलू पर विचार करने के लिए 2008-09 में इसे स्थगित कर दिया गया था. एक बार काम पूरा हो जाने के बाद, पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं का सामना करने में भी सक्षम होगा और इसकी कार्य अवधि 120 साल होगी.
दिसंबर 2023 तक पूरे कश्मीर को कन्याकुमारी तक रेल के जरिए जोड़ दिया जाएगा
जानकारी के मुताबिक, इस साल दिसंबर तक पूरे कश्मीर को कन्याकुमारी तक रेल के जरिए जोड़ दिया जाएगा. दरअसल, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. यूएसबीआरएल अधिकारीयों के मुताबिक जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाली लाइन के लिए सभी जरूरी सुरंगें बनकर तैयार हो चुकी हैं. और बाकी के काम के साथ चिनाब रेलवे पुल पर पटरी बिछाने का काम भी तेजी से चल रहा है.
कितना मुश्किल है चिनाब ब्रिज का काम
कटरा-बनिहाल का 111 किमी लंबा रेल खंड बन रहा है. ये सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इस लाइन का 97.34 किमी हिस्सा सुरंगों से गुजरता है. इसमें जम्मू से बारामुला तक पहाड़ों, ढलानों और भूकंप वाला संवेदनशील इलाका हैं. इसी कारण इसमें 27 प्रमुख पुल और 10 छोटे पुल बनाने पड़े हैं. इसमें से प्रमुख 21 बनकर तैयार हैं. इसी खंड में चिनाब ब्रिज भी है.
भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल पूरी
दूरदराज के इलाकों में निर्माण स्थलों तक पहुंचने के लिए 203 किमी नई सड़कें बनानी पड़ीं. एक अधिकारी ने कहा कि कटरा-बनिहाल खंड के तहत 163.88 किलोमीटर (सुरंगें मिलाकर) में से 162.6 किमी का काम पूरा हो चुका है. वहीं 117.7 किमी में से 31.3 किलोमीटर ट्रैक बनकर तैयार है. दिसंबर में भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल, जो बनिहाल-कटरा रेलवे लाइन पर 12.89 किमी लंबी है, पूरी हो चुकी है.
आज इस प्रोजेक्ट की लागत 27,949 करोड़ रुपये हो चुकी है
साल 1905 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा ने मुगल रोड के रास्ते से श्रीनगर को जम्मू से जोड़ने वाली रेलवे लाइन बिछाने की घोषणा की थी. शुरुआती काम के बाद परियोजना का काम अटक गया. उसके बाद एक बार फिर मार्च 1995 में 2500 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू किया गया और फिर था साल 2002 मे वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया, तब इसकी लागत 6000 करोड़ रुपए हो गई. हालांकि आज इस परियोजना की लागत 27,949 करोड़ रुपये हो चुकी है.
नेटवर्क तैयार होने की तरफ पहुंच गया है
इस रेलवे लाइन के चालू होने से कश्मीर की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. इस रेल के चलने से देश के पर्यटक ट्रेन से कश्मीर जा सकेंगे. इसके बाद कश्मीर के सेब जैसे फल को आसानी से देश के बाकी हिस्सों में तेजी से पहुंचाया जाएगा. दक्षिण भारत को सीधे कश्मीर से जोड़ा जा सकेगा. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करेगा. हालांकि लाइन बिछाने का काम भौगोलिक समस्याओं से भरा हुआ था. इन सबसे पार पाते हुए अब यह नेटवर्क तैयार होने की तरफ पहुंच गया है. ये प्रोजेक्ट 20 सालों की देरी से चल रही है.
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