Explained: कोरोना माहामारी के दौरान अमेरिका से आया सबसे ज्यादा रेमिटेंस, खाड़ी के देश रह गए पीछे
Remittance Inflow: कोरोना महामारी के चलते 2020-21 में अमेरिका से भारत में आने वाले रेमिटेंस ने संयुक्त अरब अमीरात ( UAE) को पीछे छोड़ दिया है. अब 23 फीसदी रेमिटेंस अमेरिका से भारत आया है.
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Remittance Inflow In India: अगर आप सोच रहे है कि देश में सबसे ज्यादा रेमिटेंज ( Remittance) का पैसा खाड़ी के देशों (Gulf Region) से भारत में आता है तो ये बात मन में निकाल दिजिए क्योंकि ये कल की बात हो गई है. अब देश में सबसे ज्यादा विदेशी करेंसी ( Foreign Currency) के रूप में रेमिटेंज का पैसा अमेरिका ( United States) से आ रहा है. कोरोना महामारी ( Covid-19 Pandemic) के आने के बाद खाड़ी के देशों से भारत में आने वाले रेमिटेंस के पैसे में बड़ी कमी आई है. अब उसकी जगह अमेरिका ने लिया है.
अब अमेरिका से आता है सबसे ज्यादा रेमिटेंस
आरबीआई ( RBI) के लेख में ये बात सामने आई है कि कोरोना महामारी के चलते 2020-21 में अमेरिका से भारत में आने वाले रेमिटेंस ने संयुक्त अरब अमीरात ( UAE) को पीछे छोड़ दिया है. अब 23 फीसदी रेमिटेंस अमेरिका से भारत आ रहा है. संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन मुख्य तौर पर खाड़ी के देश के तौर पर जाने जाते हैं. इराक को छोड़कर छह देश गल्फ कॉपरेशन कांउसिल (GCC) के सदस्य हैं. गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल ( GCC) से आने वाले रेमिटेंस में 2016-17 के मुकाबले 30 फीसदी की कमी आई है. अमेरिका ( America), ब्रिटेन (Britain) और सिंगापुर ( Singapore) से 2020-21 में कुल 36 फीसदी रेमिटेंस देश में आया है. पूर्व में भारत आने वाले 50 फीसदी रेमिटेंस गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल से जुड़े देशों से आता था.
रेमिटेंस से मिलती है भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती
आपको बता दें देश से बाहर दूसरे देशों में काम करने वाले भारतीयों से सबसे ज्यादा विदेशी करेंसी रेमिटेंस के रूप में भारत आता है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था ( Indian Economy) को मजबूती मिलती है, विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserve) बढ़ता है साथ ही सरकार के वित्तीय घाटे ( Fiscal DEficit) को कम करने में सहायक साबित होती है. नॉन-रेसिडेंट भारतीयों ( Non Resident Indian) ने कई मौकों पर भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारा है. 2008 में लीहमन ब्रदर्स ( Lehman Brothers) के दिवालिया होने के बाद आई मंदी ( Recession) के दौरान 2009 में जीडीपी का 4 फीसदी रेमिटेंस भारत आया था. 2020-21 में 87 अरब डॉलर रेमिटेंस भारत आया है जो जीडीपी का 2.75 फीसदी है.
रेमिटेंस पाने में केरल से आगे महाराष्ट्र
गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (Gulf Coperation Council) से सबसे ज्यादा रेमिटेंस केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में आता था. हालांकि 2020-21 में ये घटकर आधा हो चुका है. और अब केवल 25 फीसदी ही रेमिटेंस इन राज्यों में आता है. कुल रेमिटेंस में सबसे बड़ी हिस्सेदारी अब महाराष्ट्र ( Maharastra) की है जिसने केरल को पीछे छोड़ दिया है. वर्ल्ड बैंक ने भी 2021 के अपने रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था की मजबूती के चलते भारत में भेजे जाने वाले रेमिटेंस में जबरदस्त इजाफा हुआ है और ये कुल रेमिटेंस का 20 फीसदी है.
विदेशों में रह रहे भारतीय भेजते हैं रेमिटेंस
अमेरिका, यूरोप और खाड़ी के देशों में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं. अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो डॉलर में कमाते हैं और अपनी कमाई देश में भेजते हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा Remittance पाने वाला देश भारत है. साल 2021 में भारत में Remittance के जरिए 87 अरब डॉलर प्राप्त हुआ था. जो 2022 में बढ़कर 90 बिलियन होने का अनुमान है. 20 फीसदी से ज्यादा Remittance भारत में अमेरिका से आता है. ये Remittance जब भारतीय अपने देश डॉलर के रुप में भेजते हैं तो विदेशी मुद्रा भंडार इससे तो बढ़ता ही है साथ ही इन पैसे से सरकार को अपने कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए धन प्राप्त होता है. और जो लोग Remittance भेजते हैं उन्हें अपने देश में डॉलर को अपने देश की करेंसी में एक्सचेंज करने पर ज्यादा रिटर्न मिलता है.
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