अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के चलते हो रहे बदलावों के बीच भारत ने डॉलर की जगह युआन का इस्तेमाल करना शुरू किया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय रिफाइनर रूस से आ रहे कच्चे तेल का कुछ पेमेंट अब डॉलर की जगह चीन की करेंसी युआन में कर रहे हैं.
इस कारण पड़ी युआन की जरूरत
खबर में मामले से अवगत सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते भारतीय रिफाइनर को ऐसा करना पड़ रहा है. रूस ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला कर दिया था. उसके बाद से अभी तक पूर्वी यूरोप में युद्ध जारी है. इसके चलते अमेरिका की अगुवाई में पश्चिमी देशों ने रूस के ऊपर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों के कारण भारतीय रिफाइनर रूसी कच्चे तेल का पेमेंट डॉलर में नहीं कर पा रहे हैं.
वैश्विक व्यापार में ये बदलाव
रूस पर लगे प्रतिबंधों का ही असर है कि वैश्विक व्यापार में भी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. रूस अभी भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर बन चुका है और भारत उसका सबसे बड़ा खरीदार बन गया है. इसके साथ-साथ रूस अब चीन का भी सबसे बड़ा सप्लायर बन गया है, वहीं भारत के बाद चीन रूस के कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है.
युआन को प्रमोट कर रहा चीन
भारतीय रिफाइनर रूसी कच्चे तेल का कुछ पेमेंट युआन में ऐसे समय कर रहे हैं, जब चीन अपनी करेंसी को नई ग्लोबल करेंसी के रूप में प्रचारित कर रहा है. डॉलर लंबे समय से ग्लोबल करेंसी की भूमिका में है. हालांकि मौजूदा हालात में डॉलर का दबदबा कम होता नजर आ रहा है. रूस के ऊपर प्रतिबंधों से भी डॉलर का दबदबा कम हुआ है, जबकि युआन का महत्व बढ़ गया है.
इन कंपनियों ने किया पेमेंट
भारत सरकार के एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया है कि अगर बैंक डॉलर में ट्रेड सेटल नहीं कर रहे हैं तो कुछ रिफाइनर उन्हें युआन जैसी दूसरी करेंसी में पेमेंट कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले यह काम इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने जून में किया था. उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत की कम से कम 2 प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां भी युआन में पेमेंट कर रही हैं. भारत में अभी तीन रिफाइनर कंपनियां हैं, जिनके नाम हैं- रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, नायरा एनर्जी और एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड.
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