भारतीय रुपये के भाव में लगातार गिरावट आ रही है. यह सप्ताह भी रुपये के लिहाज से काफी खराब साबित हुआ. सप्ताह के दौरान ज्यादातर दिन रुपये के भाव में गिरावट आई और अब उसका भाव नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आया हुआ है.


इस सप्ताह आई इतनी गिरावट


बाजार के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार को रुपया करीब 3 पैसे की हल्की गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले 83.7275 रुपये पर बंद हुआ. यानी अब एक अमेरिकी डॉलर का मूल्य 83.7275 भारतीय रुपये के बराबर है. यह डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है. पूरे सप्ताह के दौरान रुपये के मूल्य में 0.1 फीसदी की गिरावट आई और यह सप्ताह के 5 में से 4 दिन घाटे में रहा.


आरबीआई की दखल नाकाफी


बाजार के जानकारों का कहना है कि रुपये की यह हालत तब है, जब उसको सहारा देने के लिए बाजार में खूब डॉलर झोंक रहा है. आरबीआई डॉलर के मुकाबले रुपये को 83.72 के नीचे नहीं जाने देना चाह रहा है. उसके लिए सेंट्रल बैंक ने स्पॉट मार्केट में हस्तक्षेप किया और सुनिश्चित किया कि रुपये में ज्यादा बड़ी गिरावट न आए. हालांकि उसके बाद भी रुपये ने नए निचले स्तर का रिकॉर्ड बना ही दिया.


कच्चे तेल के भाव बढ़ने का असर


दरअसल रुपये के ऊपर अभी कई दबाव हैं. सबसे पहले तो कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने से रुपये के पर दबाव बढ़ गया है. शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल मजबूत होकर 82 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गया है. कच्चे तेल के भाव में तेजी आने का मतलब है कि भारत का व्यापार घाटा बढ़ेगा. इस डर से रुपये पर दबाव बन रहा है. कच्चा तेल के भाव बढ़ने से भारत के तेल आयातकों को ज्यादा डॉलर की जरूरत पड़ रही है. इससे भी रुपया कमजोर हो रहा है.


बॉन्ड यील्ड का भी होता है असर


रुपये के भाव पर बॉन्ड यील्ड का भी असर होता है. शुक्रवार को 10 साल के बेंचमार्क वाले भारत सरकार के बॉन्ड की यील्ड 2 बेसिस पॉइंट कम होकर 6.94 फीसदी पर आ गई. हालांकि आने वाले दिनों में रुपये के भाव में स्थिरता आने की उम्मीद है. बजट से पता चल रहा है कि सरकार का राजकोषीय घाटा कम रह सकता है, जिससे बाजार को राहत मिल सकती है.


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