Layoffs in Startup: भारतीय स्टार्टअप में छंटनी जारी, निकाले जा चुके हैं 10000 से ज्यादा लोग
Indian Startups: फंडिंग की कमी और कॉस्ट कटिंग के नाम पर इस साल स्टार्टअप में लगातार छंटनी जारी है. ज्यादा सैलरी वाले लोगों को नौकरी से हटाकर उनकी जगह कम वेतन पर लोग रखे जा रहे हैं.
Indian Startups: भारतीय स्टार्टअप पिछले एक साल से आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रहे हैं. फंडिंग की कमी के चलते इस साल अब तक सभी स्टार्टअप लगभग 10 हजार लोगों की छंटनी कर चुके हैं. इसके अलावा स्टार्टअप में हायरिंग की स्थिति सुस्त है. हालांकि, साल 2024 की पहली छमाही साल 2023 के मुकाबले बेहतर रही है. साल 2023 की पहली छमाही में 21 हजार और दूसरी छमाही में 15 हजार लोगों की छंटनी की गई थी.
बड़े स्टार्टअप ने कॉस्ट कटिंग के नाम पर लोगों को निकाला
लॉन्गहाउस कंसल्टिंग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप सुस्ती से उबरने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. पिछले 6 महीने में स्विगी (Swiggy), ओला (Ola), लिसियस (Licious), कल्टफिट (Cultfit), प्रिस्टन केयर (PristynCare) और बायजू (Byju) जैसी कंपनियों ने कॉस्ट कटिंग के नाम पर छंटनी की है. इसके अलावा फ्लिपकार्ट (Flipkart) और पेटीएम (Paytm) जैसी बड़ी कंपनियों ने भी छंटनी की है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने अपने वर्कफोर्स में लगभग 5 से 7 फीसदी की कटौती की है. ईकॉमर्स कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में लगभग 1500 घटी है. उधर, आर्थिक संकटों से जूझ रही पेटीएम में भी छंटनी जारी है. कंपनी ने लगभग 1000 कर्मचारी निकाले हैं.
साइलेंट लेऑफ्स का रास्ता ज्यादा चुन रहीं कंपनियां
रिपोर्ट के अनुसार, स्विगी ने लगभग 400 कर्मचारी निकाले हैं. उधर, आईपीओ लेकर आ रही ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) भी लगभग 600 कर्मचारी निकालने जा रही है. अप्रैल में ओला कैब्स (Ola Cabs) ने लगभग 200 लोग निकाले थे. इस साल स्टार्टअप ने रणनीति बदलते हुए साइलेंट लेऑफ्स (Silent Layoffs) का रास्ता ज्यादा चुना है. लोगों को एक साथ निकालने के बजाय धीरे-धीरे बिना किसी ऐलान के नौकरी से निकाला जा रहा है. स्टार्टअप ने ज्यादा सैलरी वाले लोगों को हटाकर कम वेतन के लोगों को नौकरी दी है. साइलेंट लेऑफ्स की मदद से कंपनियां मार्केट में नेगेटिव छवि से भी बच जाती हैं.
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