देश में लोगों की आय में बढ़ोतरी देखी जा रही है. पिछले कुछ सालों में अमीरों की संख्या तेजी से बढ़ी है. आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पांच लाख से ज्यादा कमाने वालों की संख्या में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है.
BNP पारिबास ने आईटी विभाग के डेटा का विश्लेषण किया है. इसके मुताबिक, पांच लाख रुपये सालाना कमाने वाले लोग वित्त वर्ष 2012 में 38 लाख थे, लेकिन वित्त वर्ष 2021 में इनमें पांच गुना बढ़ोतरी हुई और ये अब 1.8 करोड़ हो चुके हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान इनके इनकम में भी बढ़ोतरी हुई है, कर्ज चुकाने की क्षमता भी सुधरी है. साथ ही खपत और निवेश के स्तर पर भी सुधार देखा गया है. आईटी विभाग ने सिर्फ 2021 तक के डाटा को ही प्रोवाइड कराया है. हालांकि रिपोर्ट का मानना है कि ये आंकड़े और भी ज्यादा हो सकते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड महामारी के दौरान लोगों की आय में गिरावट आई थी, लेकिन इसके बाद भी पांच लाख या उससे ज्यादा कमाने वालों की संख्या में इजाफा देखा गया है, लेकिन वित्त वर्ष 2022 और 2023 में रिकवरी के दौरान ये नंबर्स और ज्यादा हो सकते हैं.
किन वजह से बढ़ी उच्च आय वाले लोग
आईटी सर्विसेज, फाइनेंशियल सर्विसेज समेत सर्विस सेक्टर में मजबूती के कारण पिछले दशक में भारत के उच्च आय वाले परिवारों के अनुपात में बढ़ोतरी देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह हिस्सा भारत के अमीर घराने का एक छोटा हिस्सा हैं और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है.
किन सेक्टरों को हो रहा लाभ
रिपोर्ट बताती है कि आय बढ़ने से ऑटोमोबाइल, वित्तीय सेवाएं, आभूषण, होटल, रियल एस्टेट, सिगरेट, मल्टीप्लेक्स और अस्पताल जैसे क्षेत्रों को एफएमसीजी, मीडिया प्रसारण जैसे क्षेत्रों की तुलना में तेजी से राजस्व में इजाफा हो रहा है. वहीं इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के खपत में भी इजाफा देखा जा रहा है.
टैक्सपेयर्स की संख्या में भी इजाफा
दूसरी ओर, पांच लाख कमाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा भले ही हो रहा हो, लेकिन वहीं पांच लाख से कम कमाने वाले लोगों की संख्या में कम बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2012-21 के बीच 5-10 लाख रुपये, 10-20 लाख रुपये और 20-50 लाख रुपये के बीच वेतन वाले करदाताओं की संख्या 17.6 प्रतिशत, 20.8 प्रतिशत और 21.6 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी है.
5 लाख रुपये से कम वेतन वाले टैक्सपेयर्स की संख्या 7 फीसदी सीएजीआर से बढ़ी है. इसके अलावा, 5 लाख रुपये से कम आय वाले व्यक्तियों की संख्या वित्त वर्ष 2021 में घटकर 72.2 प्रतिशत रह गई है, जो वित्त वर्ष 2012 में 86.8 प्रतिशत थी.
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