Swiss Bank: स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा रकम में आई 11% की गिरावट, 2022 में 3.42 बिलियन स्विस फ्रैंक रह गया डिपॉजिट
Swiss Banks Deposits: 2018 से भारत स्विजरलैंड के बीच टैक्स मामलों को लेकर ऑटोमैटिक जानकारी साझा करने की संधि लागू हो चुकी है. जिसके बाद से डिपॉजिटर्स के डिटेल्स वहां की अथॉरिटी उपलब्ध कराती रही है.
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Swiss Bank Deposits By Indians: स्विस बैंकों (Swiss Banks) में भारतीयों और यहां की कंपनियों के डिपॉजिट्स में कमी आई है. स्विटजरलैंड सेंट्रल बैंक ( Switzerland Central Bank) ने डेटा जारी किया है जिसके मुताबिक भारतीयों और भारतीय कंपनियों द्वारा जो स्विस बैंकों में फंड रखा जाता है 2022 में 11 फीसदी घटकर 3.42 बिलियन स्विस फ्रैंक्स ( 30,000 करोड़ रुपये) रह गया है.
स्विस बैंकों में भारतीय लोग और यहां की कंपनियां पैसा डिपॉजिट करते रहे हैं. कुछ लोग भारत स्थित स्विस बैंकों के शाखाओं और दूसरे वित्तीय संस्थाओं के जरिए भी स्विस बैंकों में पैसा डिपॉजिट करते हैं. ये आधिकारिक आंकड़ा है जो बैंकों के स्विटजरलैंड सेंट्रल बैंक को बैंकों द्वारा उपलब्ध कराये गए डेटा के आधार पर जारी किया गया है. हालांकि इसमें कालाधन का आंकड़ा शामिल नहीं है जो भारतीयों ने स्विस बैंकों में जमा किया हुआ है. इन आंकड़ों में उस पैसे का जिक्र नहीं है जो भारतीयों, एनआरआई या किसी और ने तीसरे देश में स्थित इकाई के नाम पर स्विस बैंकों में डिपॉजिट किया हुआ है.
स्विटजरलैंड सेंट्रल बैंक के मुताबिक 3.42 बिलियन स्विस फ्रैंक्स 2022 के अंत तक स्विस बैंकों पर भारतीयों का बकाया है जिसे टोटल लायबिलिटी की संज्ञा दी गई है. 2006 में स्विस बैंकों में भारतीय ने रिकॉर्ड 6.5 बिलियन स्विस फ्रैंक्स जमा किया हुआ था जिसके बाद से भारतीय के डिपॉजिट्स में लगातार कमी देखी गई है. केवल 2011, 2013, 2017, 2020 और 2021 में उछाल देखने को मिला था.
स्विस अधिकारियों का मानना रहा है भारतीयों द्वारा स्विस बैंकों में जमा किया गए रकम को काला धन नहीं कहा जा सकता है. उनका कहना है कि वे टैक्स फ्रॉड और टैक्स की चोरी को रोकने में लगातार भारत का सहयोग करते रहे हैं. 2018 से भारत और स्विजरलैंड के बीच टैक्स मामलों को लेकर ऑटोमैटिक जानकारी साझा करने की संधि लागू हो चुकी है. इस नियम के तहत 2019 सितंबर में सभी भारतीय जिनका स्विक बैंकों में 2018 से अकाउंट है उनकी जानकारी भारत के टैक्स अथॉरिटी के साथ साझा किया गया था और अब ये हर साल साझा किया जाता है. भारत सरकार द्वारा सबूत उपलब्ध कराये जाने पर ऐसे लोग जो वित्तीय धाखाधड़ी में शामिल रहे हैं इनके डिटेल्स भी स्विस अथॉरिटी साझा करती रही है.
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