सरकार के द्वारा टैक्स लगाने के बाद भी भारतीयों के विदेशी खर्च में तेज बढ़ोतरी आई है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारतीयों ने लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत देश से बाहर खर्च का नया रिकॉर्ड बना दिया और आंकड़ा 32 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया. ताजे आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली है.


एलआरएस के तहत खर्च का रिकॉर्ड


ईटी की एक रिपोर्ट में रेमिटेंस के सालाना आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान भारतीयों ने लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत कुल 31.7 बिलियन डॉलर का खर्च किया. यह एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान एलआरएस के तहत किए गए 27.1 बिलियन डॉलर के खर्च की तुलना में लगभग 17 फीसदी ज्यादा है.


टीसीएस के बाद आने लगी कमी


यह किसी एक वित्त वर्ष में एलआरएस के तहत भारतीयों के द्वारा किया गया सबसे ज्यादा खर्च भी है. भारतीयों ने यह रिकॉर्ड ऐसे समय बनाया है, जब सरकार एलआरएस पर टीसीएस यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स लागू कर चुकी है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि टीसीएस के लागू होने के बाद एलआरएस के तहत खर्च में लगातार कमी आई है. टीसीएस को अक्टूबर 2023 में लागू किया गया था.


विदेश यात्रा पर इतना ज्यादा खर्च


आंकड़ों के अनुसार, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीयों के कुल खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा विदेश यात्राओं का रहा है. ओवरसीज ट्रैवल पर भारतीयों ने इस दौरान 17 बिलियन डॉलर का खर्च किया, जो साल भर पहले के 13.6 बिलियन डॉलर की तुलना मे 24.5 फीसदी ज्यादा है.


सबसे ज्यादा इस खर्च का हिस्सा


एलआरएस में विदेश यात्राओं का शेयर लगातार बढ़ता जा रहा है. कोविड के दौरान इसमें काफी गिरावट आई थी और विदेश यात्राओं पर किए गए खर्च का आंकड़ा वित्त वर्ष 2020-21 में महज 3.2 बिलियन डॉलर रह गया था. कोविड से पहले वित्त वर्ष 2019-20 में एलआरएस में विदेश यात्राओं का हिस्सा 37 फीसदी था, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर कुल एलआरएस खर्च के 53.6 फीसदी पर पहुंच गया.


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