India Economic Growth: ग्लोबल झटकों और ब्याज दर में बढ़ोतरी के बावजूद भारतीय विकास दर कायम- RBI
India Economic Growth: रिजर्व बैंक की एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि जब सरकारें मुफ्त सुविधाएं देती हैं तो कहीं न कहीं जनता से ही इसकी लागत की भरपाई भी की जाती है.
India Economic Growth: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि वैश्विक झटके और ब्याज दर में बढ़ोतरी के बावजूद भारतीय वृद्धि कायम है और भारत का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है. उन्होंने कहा कि घरेलू मांग वैश्विक मंदी को कम कर सकती है. उन्होंने भारत का निर्यात बढ़ने की उम्मीद भी जताई.
मुफ्त उपहार पर रखा अपना नजरिया
आशिमा गोयल ने देश में चल रही मुफ्त उपहार चर्चा पर भी बात की और कहा क मुफ्त उपहार कभी भी ‘मुफ्त’ नहीं होते हैं. जब राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं, तो उन्हें मतदाताओं को उनके वित्त पोषण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना चाहिए. उन्होंने बताया कि मुफ्त उपहारों की घोषणा के साथ इन सूचनाओं को जोड़ने से लोकलुभावनवाद के प्रति प्रलोभन कम हो जाएगा.
मुफ्त उपहार कभी भी मुफ्त नहीं होते- आशिमा गोयल
आशिमा गोयल ने आगे कहा कि जब सरकारें मुफ्त सुविधाएं देती हैं तो कहीं न कहीं लागत की भरपाई की जाती है. इनके जरिए ऐसी सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं में निवेश किया जा सकता है, जो क्षमता निर्माण करती हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में पीटीआई-भाषा को बताया, "मुफ्त उपहार कभी भी मुफ्त नहीं होते... विशेष रूप से ऐसी हानिकारक सब्सिडी, जो कीमतों को विकृत करती हैं."
मुफ्त सुविधाओं से गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान- आशिमा गोयल
उन्होंने कहा कि इससे उत्पादन और संसाधन आवंटन को नुकसान पहुंचता है, जैसे मुफ्त बिजली के कारण पंजाब में पानी का स्तर गिरना. आशिमा गोयल ने कहा कि इस तरह की मुफ्त सुविधाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, हवा और पानी की खराब गुणवत्ता की कीमत पर मिलती हैं, जिनसे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है. प्रख्यात अर्थशास्त्री ने तर्क दिया, "जब राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं तो उन्हें मतदाताओं को इनके लिए वित्तपोषण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना चाहिए. इससे प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद के प्रति प्रलोभन कम होगा."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साधा था 'रेवड़ी' बांटने की घोषणाओं पर निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में 'रेवड़ी' (मुफ्त उपहार) बांटने के प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद पर प्रहार किया था, जिससे न केवल करदाताओं के धन की बर्बादी होती है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी होता है, जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के अभियान को बाधित कर सकता है. उनकी टिप्पणी को आम आदमी पार्टी (आप) जैसे राजनीतिक दलों पर निशाने के तौर पर देखा गया, जिन्होंने हाल में पंजाब में मुफ्त बिजली देने की शुरुआत की है और गुजरात में भी मुफ्त बिजली और पानी देने का वादा किया है. वहीं इस महीने की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को दिए जाने वाले तर्कहीन मुफ्त उपहारों की जांच के लिए एक विशेष निकाय के गठन का सुझाव दिया था.
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