नई दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने भारत सरकार के लिए आज एक चिंता की खबर दे दी है. आईएमएफ ने 2016-17 में भारत की वृद्धि दर यानी जीडीपी घटकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया है. नोटबंदी के बाद से ही कई अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां और ब्रोकिंग फर्में भारत की जीडीपी दर में गिरावट के भारी अनुमान दे रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने आज कहा कि नोटबंदी से उपजी 'उपजी अस्थायी' बाधाओं के कारण अर्थव्यवस्था में आए तनाव से भारत की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है. अपनी सालाना रिपोर्ट में हालांकि आईएमएफ ने कहा है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर केवल फौरी असर होगा और यह अगले कुछ साल में 8 फीसदी से ज्यादा की अपेक्षित वृद्धि दर पर लौट आएगी.
भारत पर अपनी सालाना रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि 8 नवंबर, 2016 के बाद नकदी की कमी और पेमेंट दिक्कतों की वजह से कंजम्प्शन और व्यापार गतिविधियों में कमी आई है. इसके चलते देश की बढ़त के स्तर को पहले की तरह बनाए रखने के सामने एक नई चुनौती आई है. इसने कहा है कि वित्त वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर घटकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है. यह 2017-18 में बढ़कर 7.2 फीसदी रहना अनुमानित है. आईएमएफ ने कहा है कि नकदी की कमी के कारण खास तौर पर निजी खपत से फौरी बाधाओं का असर वृद्धि पर पड़ेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की कमी दूर होगी तो अनुकूल मॉनसून, तेल की नीची कीमतों और आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने की दिशा में लगातार बढ़त से भारत की जीडीपी में बढ़त को समर्थन मिलेगा.
हालांकि आईएमएफ ने एक राहत की खबर भी दी है कि जीएसटी लागू होने से भारत की आर्थिक विकास दर 8 फीसदी से ज्यादा हो सकती है जो कि इसके पहले के अनुमान के मुताबिक ही है. सरकार ने पहले भी अनुमान दिया है कि जीएसटी आने के बाद देश की जीडीपी में 2 फीसदी का इजाफा हो जाएगा. आईएमएफ ने आज कहा कि वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही की बेहतर तरीके से करने के लिये सिंगल नेशनल मार्केट को तैयार करने में भारी मदद मिलेगी. हालांकि उसके साथ ही जीएसटी से उम्मीद की तुलना में अधिक लाभ होगा और आगे और संरचनात्मक सुधारों से वृद्धि को मजबूती मिलेगी. साथ ही लगातार पेट्रोलियम प्रोड्क्ट्स की कीमतें नरम रहने से भारत को लंबी अवधि में फायदा ही होगा.
आईएमएफ ने भारत पर अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि जीएसटी की रूपरेखा और उसके क्रियान्वयन की गति के ईद-गिर्द कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई है. इसे अपनाये जाने से भारत की जीडीपी वृद्धि दर मध्यम अवधि में आठ फीसदी से अधिक पहुंचाने में मदद मिलेगी क्योंकि यह एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करेगा और वस्तुओं और सेवाओं की देश में आवाजाही बेहतर होगी. इसमें कहा गया है कि जीएसटी से मौजूदा इनडायरेक्ट टैक्स प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार होगा. साथ ही टैक्स रिफॉर्म जारी रहेगा जिसमें कंपनी टैक्स की दर चरणबद्ध तरीके से 4 साल में 30 फीसदी से 25 फीसदी पर लाया जाएगा.