छंटनी या नौकरी से निकाला जाना कोई बड़ी या अनोखी बात नहीं है. इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. पिछले एक-डेढ़ साल से दो दुनिया भर में रिकॉर्ड छंटनी चल रही है, लेकिन नौकरी से निकाले जाने का यह मामला आपको हैरान कर देगा. क्या आप कभी सोच सकते हैं कि फोन पर हिन्दी में या किसी भी भाषा में बात करने की वजह से किसी की नौकरी चली जाए?


कंपनी के खिलाफ दायर किया मुकदमा


इस बात पर शायद ही कोई यकीन करे, लेकिन अभी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें फोन पर हिन्दी में बात करने की वजह से एक इंजीनियर की नौकरी चली गई है. यह मामला है अमेरिका का और एक भारतीय मूल के इंजीनियर से जुड़ा हुआ है. भारतीय मूल के इंजीनियर अनिल वार्ष्णेय ने इसे लेकर अपनी तत्कालीन नियोक्ता कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.


पिछले साल अक्टूबर में गई नौकरी


वार्ष्णेय ने मुकदमे में आरोप लगाया है कि वह अपने एक बीमार परिजन से फोन पर बात कर रहे थे. उनकी बातचीत हिन्दी में हो रही थी और सिर्फ इतनी सी बात पर उनकी तत्कालीन नियोक्ता कंपनी पार्सन्स कॉरपोरेशन ने उन्हें पिछले साल अक्टूबर में नौकरी से निकाल दिया. इस संबंध में वार्ष्णेय ने जून महीने के दौरान अलबामा प्रांत की एक अदालत में मुकदमा दायर किया है.


दशकों से अमेरिका में हैं वार्ष्णेय


वार्ष्णेय की लिंक्डइल प्रोफाइल के अनुसार, उन्होंने बनारस हिन्दु यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और उसके बाद वह अमेरिका चले गए. वार्ष्णेय दशकों से अमेरिका में ही हैं और अभी उनकी उम्र 78 साल हो चुकी है. वह पिछले साल अक्टूबर तक हंट्सविले मिसाइल डिफेंस कांट्रैक्टर कंपनी पार्सन्स कॉरपोरेशन के साथ बतौर सीनियर सिस्टम इंजीनियर काम कर रहे थे.


नस्लभेद का भी लगाया आरोप


वार्ष्णेय 1968 से ही अमेरिका में हैं. उन्होंने ओकलाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी से इंडस्ट्रियल एंड सिस्टम्स इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री की पढ़ाई की. उनकी पत्नी शशि नासा में काम कर चुकी हैं. वार्ष्णेय ने मुकदमे में अपने बारे में बताया है कि वह बेहतरीन डिफेंस इंजीनियरों में से एक हैं और कॉन्ट्रैक्टर ऑफ दी ईयर अवार्ड भी मिल चुका है. वार्ष्णेय ने अपने साथी कर्मचारियों पर नस्लभेद का भी आरोप लगाया है.


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