Vodafone Stake in Indus Towers: देश के तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियां रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल और वोडाफोन आइडिया कस्टमर्स को ज्यादा से ज्यादा जोड़ने के लिए प्रयास में जुटे रहते हैं. रिलायंस जियो देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन चुकी है तो वहीं एयरटेल दूसरे नंबर पर है. वोडाफोन आइडिया तीसरे नंबर पर रहकर भी भारी कर्ज से गुजर रही है. कंपनी ने अपने कर्ज के बोझ को कम करने के लिए एक खास प्लान तैयार किया है, जिसका विरोध एयरटेल कर सकता था.
दरअसल, यूके का वोडाफोन ग्रुप भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम टॉवर इंडस टावर्स में 21.05 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचना चाहता है. इसके लिए उसे बाहरी खरीदार की तलाश है. इंडस टावर्स में एयरटेल सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है. ऐसे में अगर ये चाहे तो वोडाफोन के इस प्लान का विरोध कर सकता है. हालांकि वह ऐसा नहीं करेगा, द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से वाकिफ दो लोगों ने बताया कि अगर वोडाफोन ऐसा करता है, तो एयरटेल इसका विरोध नहीं करेगा.
एयरटेल की इंडस टॉवर्स में कितनी हिस्सेदारी
यूके के वोडाफोन ग्रुप और भारत के आदित्य बिड़ला समूह को सरकार और कर्जदाताओं के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, ताकि बाहरी निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने के लिए वोडाफोन आइडिया टेलीकॉम संयुक्त कारोबार में इक्विटी का निवेश किया जा सके. इसी को लेकर ब्रिटिश टेल्को कंपनी ने 21.05 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रहा है और आय को वोडाफोन आइडिया में शामिल कर रहा है. बता दें कि भारती एयरटेल की इंडस में 47.95% हिस्सेदारी है.
वोडाफोन तलाश रही खरीदार
कर्ज के बोझ को कम करने के लिए बिट्रिश की कंपनी पहले ही कई खरीदारों से इस बारे में बात कर चुकी है, जिसमें कैनेडियन पेंशन फंड, कैसे डे डिपो और प्लेसमेंट डू क्यूबेक (सीडीपीक्यू) और अन्य से इंडस टॉवर में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा था, पर किसी कारण से यह नहीं हो पाया. अब दूसरे खरीदार की तलाश में कंपनी जुटी है.
एयरटेल वोडाफोन के प्लान को नहीं रोकेगा
देश की दूसरी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने कहा है कि अगर वोडाफोन अपनी हिस्सेदारी बेचता है तो वह अपने पावर का उपयोग नहीं करेगा. साथ ही वह वोडाफोन के रास्ते में नहीं आएगा. ईटी के मेल का वोडाफोन और एयरटेल ने कोई जवाब नहीं दिया है. बता दें कि मार्च 2022 में भारतीय एयरटेल ने इंडस टॉवर में 2,388 रुपये की वोडाफोन की 4.7 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी.
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