नई दिल्ली: लगातार दो महीनों की गिरावट के बाद अक्टूबर 2019 में देश के औद्योगिक उत्पादन के आंकडों ने भी निराश किया है. अगस्त और सितंबर के बाद अक्टूबर में भी औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है. यह लगातार तीसरा महीना है जब देश में आईआईपी के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर 2019 में औद्योगिक उत्पादन का आंकड़ा 3.8 फ़ीसदी गिर गया यानी पिछले साल की तुलना में इस बार देश में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 3.8 फ़ीसदी धीमी पड़ गई है.
कहां कितनी गिरावट
अक्टूबर के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो औद्योगिक उत्पादन के तीनों महत्वपूर्ण घटक खनन, निर्माण और बिजली क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है. अक्टूबर 2019 में खनन क्षेत्र में अक्टूबर 2018 के मुकाबले 8 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं, बात अगर निर्माण क्षेत्र की करें तो यहां पर अक्टूबर 2018 के मुकाबले अक्टूबर 2019 में 2.1 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जबकि बिजली क्षेत्र में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. बिजली क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में इस बार 12.2 फ़ीसदी की गिरावट रिकॉर्ड की गई है.
सितंबर में आईआईपी के आंकड़े
अक्टूबर से पहले सितंबर 2019 में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों ने बेहद निराश किया था. सितंबर 2019 में आईआईपी में सितंबर 2018 के मुकाबले 4.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. यह गिरावट बीते 7 साल की सबसे बडी गिरावट थी. वहीं, सितंबर 2019 में आईआईपी की गिरावट लगातार दूसरे महीने थी क्योंकि इससे पहले अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में 1.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. वहीं, अगर बात मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल—सितंबर 2019 के आईआईपी के आंकडों की करें तो इसमें महज 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अप्रैल-सितंबर 2019 के दौरान बीते अप्रैल—सितंबर 2018 के मुकाबले आईआईपी में सिर्फ 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी बताती है कि देश में औद्योगिक उत्पादन बढ़ने की रफ्तार बेहद धीमी है.
आईआईपी है क्या
आईआईपी यानी इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन को आसान भाषा में ऐसा समझा जा सकता है कि यह वह सूचकांक है जिससे देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही बढ़ोतरी दर का आंकलन किया जाता है. इसमें विभिन्न क्षेत्रों जैसे खनन, बिजली उत्पादन और निर्माण आदि में हो रही बढ़ोतरी का आंकलन किया जाता है. इन प्रमुख क्षेत्रों के आंकलन से पता चलता है कि देश में औद्योगिक उत्पादन की रफतार आखिर किस दिशा में और कितनी तेजी से बढ रही है.
इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग अलग वेटेज दिया जाता है. इस वेटेज के आधार पर हर क्षेत्र के उत्पादन की महीने दर महीने गणना होती है. फिर इस आंकड़े को बीते साल की समान अवधि के मुकाबले देखा जाता है जिससे पता चलता है कि बीते साल की समान अवधि के मुकाबले औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है या गिरावट दर्ज की गई है.
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