कोरोना काल में बढ़ते आर्थिक संकट के बावजूद लोन कस्टमर को अपनी ईएमआई में कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है. दरअसल लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से आरबीआई की मॉनेटिरी पॉलिसी कमेटी के सामने अब नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की सिफारिश के विकल्प कम हो गए हैं.


मॉनेटिरी पॉलिसी कमेटी (MPC)  की चार से छह अगस्त में हुई बैठक के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा बढ़ती महंगाई पर हुई. बैठक में अगले कुछ महीनों में महंगाई की चुनौती बने रहने पर चर्चा हुई. पिछले तीन महीनों से यह आरबीआई के दायरे से बाहर रही है. बैठक में कोरोनावायरस के दौरान सप्लाई में आ रही बाधाओं पर भी चर्चा हुई, जो महंगाई में बढ़ोतरी की बड़ी वजह है. आगे ब्याज दरों पर आरबीआई का क्या रुख रहेगा, इसका इस मुद्दे पर काफी दारोमदार होगा.


ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद कम 


आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में कहा है कि फरवरी 2019 से अब तक नीतिगत दरों में ढाई फीसदी की कमी की जा चुकी है. लिहाजा अब इन कटौतियों का असर होने का इंतजार किया जाना चाहिए. आरबीआई के बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में ब्याज दरों में और कटौती की संभावना लगभग नहीं के बराबर है. इसलिए ईएमआई कम होने की उम्मीद नहीं करना चाहिए.


खुदरा महंगाई दर में इजाफा, खाद्य महंगाई का बढ़ना चिंताजनक 


देश में खुदरा महंगाई दर जुलाई में बढ़ कर 6.93 फीसदी पर पहुंच गई थी. जून में यह 6.23 फीसदी थी. यह आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के 2 से 6 फीसदी के टारगेट से ज्यादा है. दरअसल खाद्य महंगाई दर बढ़ कर 9.62 फीसदी तक पहुंच चुकी है. बढ़ती महंगाई अर्थव्यवस्था पर और दबाव डाल रही है. वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 5.8 फीसदी गिरावट की आशंका है.


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