FMCG Companies Defeats Inflation: साबुन शैम्पू से लेकर बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों ने किस तरह अपने ग्राहकों को बढ़ती महंगाई के दौरान झटका दिया है कि शायद ज्यादातर ग्राहकों को इसकी हवा भी नहीं लगी होगी. क्योंकि आज आप बाजार से जो भी एफएमसीजी आईटम्स खरीद रहे हैं भले ही उसकी कीमत नहीं बढ़ी हो लेकिन ज्यादातर चीजों का वजन जरुर घट गया है. 


ये सच है कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी के चलते एफएमसीजी कंपनियों की लागत बढ़ी है. खासतौर से गेंहू, चावल, दाल, खाने के तेल के दामों में बढ़ोतरी का असर एफएमसीजी कंपनियों पर पड़ा है. तो महंगे  डीजल ने उनके लिए ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ा दिया. कच्चा माल महंगा होने से कंपनियों की लागत बढ़ी और मार्जिन घटा तो कंपनियों ने दाम भी बढ़ाये. 


पर दाम बढ़ाने की भी एक सीमा है. क्योंकि एफएमसीजी कंपनियां जानती है कि दाम बढ़ाने के बाद मांग में कमी आएगी तो इसका बुरा असर कंपनी पर पड़ेगा. ऐसे में इन कंपनियों ने रास्ता निकाल लिया. एक तरफ शुरुआती दिनों में दाम में बढ़ोतरी की. पर बाद में कंपनियां दाम बढ़ाने से परहेज करने लगी और उन्होंने अपने प्रोडक्ट के वजन को घटाना शुरू कर दिया. 


उदहारण के तौर पर Thumps Up और Coca-Cola ने अपने छोटे बोतल के साइज को 250 एमएल से घटाकर 200 एमएल कर दिया. 10 रुपये वाले 140 ग्राम के Parle-G बिल्कुट का वजन घटकर अब 110 ग्राम रह गया है. Vim Bar साबुन के वजन को 65 ग्राम से घटाकर 60 ग्राम कर दिया है. 115 ग्राम वाले व्हील डिटर्जेंट पैकेट का वजन घटकर 110 ग्राम रह गया है. तो 150 ग्राम वाले रिन साबुन का वजन 140 ग्राम रह गया है. दरअसल इन प्रोडक्ट्स के वजन घट गए लेकिन दाम में बदलाव नहीं किया गया जिससे सेल्स में कमी ना आए. 


एमएमसीजी कंपनियों के लिए छोटे पैकेट की बिक्री सबसे ज्यादा होती है. हिंदुस्तान यूनीलीवर की कुल सेल्स का 30 फीसदी बिक्री छोटे पैकेट  के जरिए होती है. बिस्कुट बनाने वाली कंपनी ब्रिटानिया का 50 से 55 फीसदी सेल्स छोटे पैकेट के माध्यम से होता है. हालांकि नेस्ले ने मैगी नूडल्स के छोटे पैकेज के दाम को बढ़ाकर 10 रुपये 12 रुपये कर दिया है साथ में कंपनी ने 100 ग्राम से वजन घटाकर 70 ग्राम कर दिया है. 


दरअसल इस माध्यम से एमएमसीजी कंपनियों को डबल फायदा होता है. पैकेज छोटा होने से एक बार में ज्यादा पैकेट ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. जिससे ट्रांसपोर्ट का खर्च तो बचता ही है. साथ ही प्रोडक्ट का वजन घटाकर कंपनी मार्जिन को बनाये रखने में भी कामयाब हो जाती है.  
 


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