Inflation Impact on household items: नए साल में एक बार फिर से महंगाई की मार झेलने के लिए तैयार हो जाएं. देश की दिग्गज एफएमसीजी कंपनियां हिंदुस्तान यूनिलीवर, गोदरेज कंज्यूमर, डाबर, टाटा कंज्यूमर, पारले प्रोडक्ट्स, विप्रो कंज्यूमर, मैरिको, नेस्ले और अडानी विल्मर उत्पादन पर बढ़ती लागत और बढ़े हुए कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी की भरपाई करने के लिए सामानों की कीमत बढ़ाने जा रही हैं.
चाय पत्ती से लेकर साबुन तक होगा महंगा
कंपनियों के इस फैसले के चलते नए साल में चाय पत्ती से लेकर तेल और साबुन से लेकर क्रीम तक की कीमत में 5-20 फीसदी तक का उछाल आने की संभानना है. इसी साल सितंबर के महीने में खाद्य तेल के आयात पर लगने वाले ड्यूटी में 22 फीसदी का इजाफा हुआ था और पूरे साल भर में इनमें 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई. पिछले साल 2023 में चीनी, गेहूं का आटा और कॉफी जैसी कई वस्तुओं के उत्पादन पर आई लागत में बढ़ोतरी देखी गई थी.
पारले के प्रोडक्ट्स भी होंगे महंगे
पारले के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह ने इस संबंध में द इकोनॉमिक्स टाइम्स से हुई बातचीत में कहा, हम अपनी कंपनी के प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, एक साल बाद कीमत इतनी बढ़ने जा रही है. हम उम्मीद करते हैं कि इसका असर प्रोडक्ट्स की मांग पर नहीं पड़ेगा. इसी के साथ पारले अपने सभी प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग बढ़ी हुई कीमत के साथ प्रिंट करने के लिए तैयार है.
रिटेल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बिजोम के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण हिस्सों में बढ़ती मांग के कारण अक्टूबर में देश की FMCG इंडस्ट्री में सालाना 4.3 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि नवंबर में बिक्री कम होने के चलते 4.8 फीसदी तक की गिरावट आई. शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हुई सामानों की बिक्री में एक साल पहले की तुलना में गिरावट आई.
डाबर सहित ये कंपनियां भी कीमत बढ़ाने के लिए तैयार
हिंदुस्तान यूनिलीवर ने भी साबुन और चाय की कीमतें बढ़ा दी है. डाबर ने भी हेल्थकेयर और ओरल केयर उत्पादों की कीमतें बढ़ाई है, जबकि नेस्ले ने अपने कॉफी की कीमत में इजाफा किया है.
टूथपेस्ट और शहद बनाने वाली डाबर के मुख्य वित्तीय अधिकारी अंकुश जैन ने कहा कि कंपनी ने अधिक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की कीमत बढ़ने से लोग अधिक प्रभावित न हो इसके लिए कंपनी ने कुछ चुनिंदा श्रेणियों में कीमतें बढ़ाई है. कंपनी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बढ़ी हुई कीमत का अगली दो तिमाहियों में शहरी डिमांड पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा और उपभोक्ता इतना खर्च उठा पाएंगे.