Inflation Bites: 10 साल पहले 2013 से अविनाश सिन्हा अपनी पत्नी मेधा और बेटी के साथ दिल्ली में रहे रहे हैं. पति-पत्नी दोनों ही निजी कंपनी में काम कर रहे थे और उनकी बिटिया ने तभी से स्कूल भी जाना शुरू ही किया था. 2013 में अविनाश ग्रॉसरी पर हर महीने कुल 4000 से 4500 रुपये खर्च किया करते थे. लेकिन बीते 10 वर्षों में अविनाश की आय तो बढ़ गई लेकिन उससे तेज रफ्तार से महंगाई की मार उनपर पड़ी है. ग्रॉसरी पर किए जाने वाले खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी बीते 10 सालों में देखने को मिली है. अविनाश कहते हैं कि ग्रॉसरी खर्च के लिए अब 20,000 रुपये प्रति महीने भी कम पड़ रहे हैं.
महंगाई डायन ने डाला जेब पर डाका!
अविनाश ने बताया कि आटा, दाल, चावल, सरसों तेल तो महंगा हुआ ही है साथ में दूध, दही, पनीर के दामों में भी जबरदस्त इजाफा इन वर्षों में देखने को मिला है. एफएमसीजी प्रोडक्ट्स जैसे साबुन, डिटर्जेंट पाउडर, शैम्पू, टूथपेस्ट के दाम आसमान छू रहे हैं. घरेलू रसोई गैस सिलेंडर पर हर महीने 10 साल पहले के मुकाबले दोगुना से ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि महंगाई का असर ये है कि घर खर्च के लिए उन्हें अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तक तोड़नी पड़ी है. और इस सबके के बीच बेटी के महंगे स्कूल फीस की महंगाई ने अलग से परेशानी बढ़ा रखी है.
आसमान पर जा पहुंची खाद्य वस्तुओं की कीमतें
अब आपको बताते हैं कि कैसे कमरतोड़ महंगाई ने हर आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है. 10 साल पहले आटा का 10 किलो का बैग 210 रुपये में मिलता था वो अब 440 रुपये में मिल रहा है. यानि ठीक दोगुना. चावल जो 10 साल पहले 36 से 38 रुपये में मिलता था वो अब 80 से 90 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है. फुल क्रीम दूध 39 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था वो अब 66 रुपये लीटर में मिल रहा है. जो देसी घी 300 रुपये किलो में मिलता था वो अब 675 रुपये प्रति किलो में मिल रहा है. 160 से 180 रुपये किलो में मिलने वाला पनीर अब 425 से 450 रुपये किलो में मिल रहा है. सरसों तेल 2013 में 52 से 55 रुपये प्रति किलो में मिल रहा था जो अब 150 रुपये किलो में मिल रहा है. अरहर दाल 2013 में 70 से 80 रुपये किलो में मिलता था वो अब 160 से 170 रुपये किलो में मिल रहा है.
2013 | 2023 | |
आटा (10 किलो) | 210 रुपये | 440 रुपये |
चावल | 36 - 38 रु/किलो | 80 - 90 रु/किलो |
फुल क्रीम दूध | 39 रुपये | 66 रुपये |
देसी घी | 300 रुपये | 675 रुपये |
सरसों तेल | 52 रुपये | 150 रुपये |
अरहर दाल | 70-80 रुपये | 160 -170 रुपये |
रसोई गैस | 410 रुपये | 1103 रुपये |
पेट्रोल | 66 रुपये | 97 रुपये |
डीजल | 52 रुपये | 90 रुपये |
एलपीजी, पेट्रोल-डीजल की महंगाई बनी आफत!
और घर में खाना पकाने के लिए जरुरी ईंधन एलपीजी सिलेंडर की कीमतों के क्या कहने. 2013 में सब्सिडी वाला घरेलू रसोई गैस 410 रुपये में मिल जाता था जिसके लिए लोगों को अब 1100 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं. केवल एलपीजी ही नहीं बल्कि बीते 10 वर्षों में पेट्रोल डीजल के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल 2013 में पेट्रोल 66 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 97 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है. जबकि डीजल 52 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा था जो अब 90 रुपये प्रति लीटर ते करीब में मिल रहा है. पिछले 10 वर्षों में डॉलर के मुकाबले रुपया बेहद कमजोर हुआ है. 2013 में एक डॉलर के मुकाबले रुपये का वैल्यू 54 रुपये हुआ करता था जो अब घटकर 82 रुपये के के लेवल पर जा पहुंचा है.
महंगी ईएमआई ने बिगाड़ा बजट
और जिन लोगों ने ईएमआई लेकर अपने सपनों का आशियाना खरीदा हुआ है उनकी मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ गई है. एक वर्ष में होम बायर्स पर ईएमआई का बोझ जबरदस्त बढ़ा है. अगर किसी होम बायर्स ने 2022 से पहले होम लोन लिया था तो महंगी ईएमआई के चलते ऐसे लोगों के घर का बजट अब बिगड़ चुका है. मान लिजिए किसी होम बायर्स ने 40 लाख रुपये का होम लोन 20 सालों के लिए 6.50 फीसदी ब्याज दर पर लिया था तब 29,823 रुपये ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा था. लेकिन अब उसी होम लोन पर होम बायर्स को 33,568 रुपये ईएमआई चुकाना पड़ रहा है. यानि हर महीने 3745 रुपये ज्यादा ईएमआई का भुगतान करना पड़ रहा है.
महंगाई से राहत के आसार नहीं
साफ है, आम लोगों पर बीते कुछ वर्षों महंगाई की चौतरफा मार पड़ी है. और निकट भविष्य में राहत के संकेत भी नहीं नजर आ रहे. बेमौसम बारिश से रबी फसल को नुकसान पहुंचने का अनुमान है ऐसे में गेहूं के आसमान छूती कीमतों से राहत मिलने की उम्मीद कम है. ओपेक देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला लिया है जिससे सस्ते पेट्रोल-डीजल की उम्मीदों पर पानी फिर चुका है. उसपर फरवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड 6 फीसदी के ऊपर 6.40 फीसदी पर बना हुआ है. ऐसे में ये माना जा रहा है कि आरबीआई कर्ज और महंगा कर सकता है.
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