Core Inflation: निकट भविष्य में महंगाई नहीं करेगी परेशान, अर्थशास्त्रियों ने लगाया ऐसा अनुमान
Inflation in India: भारत में आम लोगों को लंबे समय से महंगाई की मार से परेशान होना पड़ रहा था, लेकिन धीरे-धीरे महंगाई के मोर्चे पर राहत मिलने लगी है...
महंगाई की मार से लंबे समय से परेशान लोगों को राहत मिलने लगी है. अच्छी बात ये है कि फिलहाल महंगाई नरम रहने वाली है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कोर इंफ्लेशन का आंकड़ा निकट भविष्य में 3 फीसदी के आस-पास रहने का अनुमान है. इसका मतलब हुआ कि आम लोगों को कुछ समय तक महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है.
अगले 4 महीने तक मिलेगी राहत
ईटी की एक रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों के हवाले से कहा गया है कि कोर इंफ्लेशन की दर नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3 फीसदी के आस-पास रहेगी. उसके बाद इसकी दर में तेजी आ सकती है, जिसका कारण लोअर बेस रहेगा. नया वित्त वर्ष अगले महीने से शुरू होगा. अभी मार्च का महीना चल रहा है, जो चालू वित्त वर्ष 2023-24 का अंतिम महीना है. अप्रैल से वित्त वर्ष 2024-25 शुरू हो जाएगा. इसका मतलब हुआ कि फिलहाल अगले 4 महीने तक महंगाई लोगों को परेशान नहीं करने वाली है.
यहां तक कम हो सकती है महंगाई
भारत में कोर इंफ्लेशन की दर जनवरी महीने में 3.5 फीसदी के निचले स्तर पर रही थी. उससे पहले दिसंबर में इसकी दर 3.8 फीसदी रही थी. कोर इंफ्लेशन की दर जनवरी 2024 में लगातार दूसरे महीने 4 फीसदी से नीचे रही थी, जिसके चलते ओवरऑल कंज्युमर इंफ्लेशन रेट 5.1 फीसदी रही थी. अर्थशास्त्रियों का कहनाहै कि आने वाले महीनों में कोर इंफ्लेशन की दर 3.3 फीसदी तक गिर सकती है.
इन कारणों से मिल रही राहत
कोर इंफ्लेशन में गिरावट का कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर मांग, हाउसिंग इंफ्लेशन में नरमी और इनपुट कॉस्ट का कम प्रेशर है. अर्थशास्त्रियों का अनुमान कहता है कि ईंधन और खाने-पीने की चीजों को छोड़ दें तो अन्य सामानों व सेवाओं के मामले में लोगों को अगले 3-4 महीने तक महंगाई के कम प्रेशर का लाभ मिलने वाला है.
थोक व खुदरा महंगाई के आंकड़े
महंगाई में मिल रही राहत का अंदाजा थोक महंगाई और खुदरा महंगाई के आधिकारिक आंकड़ों से भी लगता है. जनवरी महीने में थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई की दर 0.27 फीसदी रही थी. यह आंकड़ा साल भर पहले जनवरी 2023 में 4.8 फीसदी पर था. वहीं जनवरी महीने के दौरान खुदरा महंगाई की दर एक महीने पहले के 5.69 फीसदी से कम होकर 5.10 फीसदी पर आ गई थी.
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