Price Hike Impact: महंगाई का असर अर्थव्यवस्था पर नजर आने लगा है. भारतीय एफएमसीजी कंपनियों द्वारा आम लोगों के इस्तेमाल करने वाली चीजों के दाम बढ़ाने से उसके खपत में सुस्ती आई है. शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण इलाकों दोनों ही जगह ये बात देखी जा रही है. ये बात एक सर्वे में सामने आई है. 


आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली फर्म नीलसन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से परेशान इन कंपनियों को बार-बार अपने उत्पादन की कीमतें बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा है. हालत यह हो गई कि वर्ष 2021 में एफएमसीजी उद्योग को लगातार तीन तिमाहियों में अपने मार्जिन को बचाने के लिए डबल डिजिट  में दाम बढ़ाना पड़ा है. इसकी वजह से वर्ष 2020 की तुलना में बीते साल कीमत-नियंत्रित वृद्धि 17.5 फीसदी पर पहुंच गई।


नीलसन आईक्यू की टीम की बनाई गई एफएमसीजी स्नैपशॉट रिपोर्ट कहती है कि अक्टूबर-दिसंबर 2021 तिमाही में भी एफएमसीजी उद्योग को मुद्रास्फीति दबावों की वजह अपने उत्पादों के खपत में 2.6 प्रतिशत की गिरावट का सामना करना पड़ा है. खपत में कमी के बावजूद वर्ष 2021 के दौरान बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के चलते तीन तिमाहियों में कंपनियों को डबल डिजिट अंकों में कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे शहरी बाजारों में खपत में सुस्ती आई जबकि ग्रामीण बाजारों में खपत गिर गई. 


एफएमसीजी कंपनियों की कुल बिक्री में करीब 35 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आता है.  कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद इस पर तगड़ी मार पड़ी है और हिंदुस्तान यूनिलीवर समेत कई एफएमसीजी कंपनियों के तिमाही नतीजों में ग्रामीण बिक्री में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है. 


नीलसन की रिपोर्ट कहती है कि कीमतें बढ़ने से छोटे उत्पादकों पर असर पड़ रहा है. रिपोर्ट में चौकानें वाली बात ये है कि  इस वजह से 100 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले छोटे मैन्युफैक्चर्रस की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है. 


 


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