बेंगलुरु में स्थित कंपनी इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख की सैलरी पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 49 करोड़ रुपए हो गई है. जबकि एक साल पहले तक उनकी सैलरी 34 करोड़ रुपये थी. इसका मतलब उनकी सैलरी में 45% का इजाफा हुआ है. जानकारी के मुताबिक सलिल की सैलरी में इजाफा वित्त वर्ष के दौरान 31 करोड़ रुपये की अपनी प्रतिबंधित स्टॉक इकाइयों का प्रयोग करने के कारण हुआ है.


सलिल के वेतन का अनुपात अन्य कर्मचारियों के औसत अनुपात 502:1 से बढ़कर 689:1 हो गया है. वहीं इंफोसिस ने बताया कि  पिछले वित्त साल के दौरान शीर्ष स्तर पर कोई पदोन्नति नहीं हुई थी. वहीं सलिल पारेख के अलावा कंपनी के प्रेसिडेंट मोहित जोशी की सैलरी 34 करोड़ रुपए हो गई है, जबकि एक साल पहले उनकी सैलरी 15 करोड़ रुपए थी. इस विषय पर सलिल पारेख ने कहा कि 'हमारी क्रॉस फ़ंक्शनल टीमों ने हमारे ग्राहकों के डिजिटल सौदे का समर्थन और एकजुट होकर काम करके हमारी सभी क्षमताओं को एक साथ लेकर आए हैं'.


सलिल ने कंपनी को दिए ज्यादा ग्राहक


चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि 'सलिल पारेख के नेतृत्व में कंपनी को ज्यादा ग्राहकों का फायदा हुआ है, साथ ही कहा कि हमारी स्थिर और प्रेरित टीम चुपचाप काम कर रही है, जिससे इंफोसिस दुनिया की शीर्ष कंपनियों में सबसे पसंद की जाने वाली कंपनी बन सके'. उन्होंने बताया कि पहले कई बड़े और परिवर्तनकारी सौदे हो चुके हैं.


डिजिटल सौदों पर कंपनी का फोकस


जानकारी के मुताबिक कंपनी को डिजिटल सौदों पर ज्यादा ध्यान देने के साथ पिछले दो सालों से बाजार की ज्यादा वृद्धि दर्ज करने में मदद मिली है. कंपनी के पास पिछले साल 14 अरब डॉलर से ज्यादा के बड़े सौदे थे, जो उसके इतिहास में सबसे ज्यादा माने जा रहे हैं.


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