Infosys CEO Salary: इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख की सैलरी में 88 फीसदी का भारीभरकम इजाफा, बढ़कर हुई इतने करोड़ रुपये
Infosys CEO Salary: इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख भारत में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले CEO में से एक हो गए हैं. उनकी सैलरी में 88 फीसदी का भारीभरकम इजाफा किया गया है.
Infosys CEO Salary: देश की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक इंफोसिस ने अपने सीईओ सलिल पारेख की सैलरी में ऐसा भारीभरकम इजाफा किया है जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे. इंफोसिस ने सलिल पारेख की सैलरी में 88 फीसदी का इजाफा कर दिया है जिसके बाद उनकी सैलरी 42 करोड़ रुपये से बढ़कर 79.75 करोड़ रुपये सालाना हो गई है.
क्या कहा इंफोसिस ने
इंफोसिस ने अपने सीईओ की सैलरी में इस जबरदस्त बढ़ोतरी को सही बताते हुए कहा है कि कंपनी ने इनके नेतृत्व में मार्केट लीडिंग ग्रोथ हासिल की है और इसके लिए वो ज्यादा सैलरी पाने के अधिकारी हैं. इंफोसिस ने आज जारी की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है. इंफोसिस ने हाल ही में सलिल पारेख के कार्यकाल को भी 5 साल के लिए बढ़ाया था और उन्हें दोबारा कंपनी का सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया था. अगले 5 साल के लिए सलिल पारेख इंफोसिस के सीईओ का पदभार संभालेंगे जिसका कार्यकाल 1 जुलाई 2022 से शुरू होकर 31 मार्च 2027 तक चलेगा.
कैसे रहे थे इंफोसिस के नतीजे
देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस ने 13 अप्रैल को वित्तीय वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही के लिए नतीजे घोषित किए थे. कंपनी के मुनाफे में पिछले वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले 12 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. कंपनी का मुनाफा 5,686 करोड़ रुपये रहा है. जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसी तिमाही में मुनाफा 5076 करोड़ रुपये रहा था.
नतीजों पर क्या कहा था सलिल पारेख ने
इंफोसिस के नतीजों पर कंपनी के एमडी और सीईओ सलिल पारेख ने कहा था कि वन इंफोसिस अप्रोच, क्लाउड क्षमता और डिजिटल पर जोर के चलते इंफोसिस ने पिछले एक दशक में इस वर्ष सबसे बेहतरीन सालाना ग्रोथ हासिल की है. वहीं कंपनी का मार्केट शेयर काफी बढ़ा है.
सलिल पारेख ने इंफोसिस को दी नई दिशा
सलिल पारेख के कार्यकाल में इंफोसिस के रेवेन्यू के साथ प्रॉफिट में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. 2 जनवरी 2018 के बाद से इंफोसिस का मार्केट कैपिटलाईजेशन 200 फीसदी बढ़ चुका है, जो अभी 6.37 लाख करोड़ रुपये है. 2018 में इंफोसिस के रेवेन्यू में डिजिटल रेवेन्यू की हिस्सेदारी केवल 25.5 फीसदी थी जो सलिल पारिख के कार्यकाल में बढ़कर 58.5 फीसदी पर जा पहुंची.
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