Troubled Startups: स्टार्टअप के लिए नारायण मूर्ति की सलाह, मान ली ये बात तो दौड़ पड़ेगा बिजनेस
Narayana Murthy Advice: नारायण मूर्ति पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं. इंफोसिस की शुरुआत भी छोटे स्टार्टअप के तौर पर हुई थी, लेकिन आज यह दिग्गज आईटी कंपनियों की फेहरिस्त में गिनी जाती है.
अभी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में स्टार्टअप (Startup) मुश्किलों से जूझ रहे हैं. उनके सामने फंडिंग से लेकर कई अन्य चुनौतियां हैं, जिसके चलते स्टार्टअप फेल हो रहे हैं. ऐसे में भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (Infosys Co-Founder NR Narayana Murthy) ने स्टार्टअप फाउंडर्स को बड़े काम की सलाह दी है, जिसे सही से फॉलो किया जाए तो चीजें आसान हो जाएं.
स्टार्टअप के तौर पर हुई थी शुरुआत
नारायण मूर्ति पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं. उनके पास स्टार्टअप को विशाल कंपनी बनाने का अनुभव है. अभी से कुछ दशक पहले इंफोसिस की शुरुआत भी छोटे स्टार्टअप के तौर पर हुई थी, लेकिन आज यह कंपनी दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनियों की फेहरिस्त में गिनी जाती है. इसका बड़ा श्रेय सह-संस्थापकों में से एक एनआर नारायण मूर्ति को जाता है.
स्टार्टअप फाउंडर्स के लिए ये है जरूरी
नारायण मूर्ति बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इस दौरान उन्होंने स्टार्टअप की दुनिया के बारे में बातें की. उन्होंने स्टार्टअप फाउंडर्स को सलाह देते हुए कहा कि अपनी गलतियों को स्वीकार करना जरूरी होता है. अगर अपनी गलतियों को स्वीकार किया जाता है, तो उससे सही करने का मौका मिलता है. बकौल नारायण मूर्ति, गलतियों की पहचान करना और तत्काल राह बदल लेना फाउंडर्स के लिए महत्वपूर्ण है.
इस कारण रहती है गलती की गुंजाइश
इंफोसिस के को-फाउंडर ने कहा, सभी स्टार्टअप फाउंडर्स युवा हैं और वे जल्दी प्रभावित हो जाते हैं. यही कारण है कि उनसे गलतियां होने की गुंजाइश रहती है. हमें उनके ऊपर एकदम कड़ा रुख नहीं अपनाना चाहिए. जब तक वे अपनी गलतियों से सीखते हैं, पहचान होते ही राह बदलते हैं और सभी संबंधित पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए चलते हैं, तब तक सब ठीक है.
प्रतिभाओं को दिए जाएं सही अवसर
नारायण मूर्ति ने इस मौके पर प्रतिभा को लेकर भी बातें की. उन्होंने कहा कि चाहे कोई कंपनी हो या कोर्इ देश, आगे बढ़ने के लिए प्रतिभा को सही मौके देना जरूरी है. आप देखेंगे कि जिन देशों ने प्रतिभाओं को सही मौके दिए, वही पिछले 50-60 सालों में आगे बढ़े हैं. इसके साथ ही एक मूल्य तय करना और पडोसियों के साथ शांति से गुजारा करना भी जरूरी है.
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