Infosys Narayan Murthy Update: इंफोसिस प्रमुख नारायणमूर्ति ने गरीबी के ताले की असली चाबी बताने का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए रोजगार पैदा करने के अलावा और कोई उपाय नहीं है. इसके लिए हम भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी होगी. हमें अपने सपने काफी ऊंचे रखने होंगे. क्योंकि दुनिया में हमसे ज्यादा करने के लिए किसी के पास कुछ नहीं है. हमारे यहां 80 करोड़ लोग मुफ्त के अनाज पर जीते हैं. यानी 80 करोड़ लोग गरीब हैं. हमें उन्हें गरीबी से निकालने का टास्क स्वीकार करना होगा. इसके लिए हमें रोजगार पैदा करने होंगे. ताकि हर व्यक्ति अपनी जरूरत के मुताबिक खर्च कर सके. इसके बिना कोई उपाय नहीं है. देश को इस तरह से आगे ले जाने के लिए हमें हफ्ते में 70 घंटे काम करने ही होंगे. कोलकाता के चेंबर ऑफ कॉमर्स में बोलते हुए नारायणमूर्ति टास्क मास्टर की भूमिका में थे.


समाजवादी नारायणमूर्ति को पेरिस जाकर ऐसे हुआ पूंजीवाद से प्रेम


नारायणमूर्ति ने कहा कि युवावस्था में देश के विकास के नेहरू के सपने उन्हें आकर्षित करते थे. उनके समाजवाद के वे मुरीद थे. लेकिन 1973 में जब वे पेरिस गए तो उनके मन में समाजवाद पर शंका पैदा होने लगी. वहां देखा कि ट्रेन समय पर चल रही है. सड़क पर ग़ड्ढे नहीं है. उन्हें लगा कि अगर ऐसा भारत में होता है तो इससे भारत के गरीबों का भला होगा. फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं से भी मैं मिला, पर वे शंका का समाधान नहीं कर सके. उस वक्त उन्हें लगा कि अगर कोई देश पूंजीवाद को अपनाता है तो वहां अच्छी सड़कें बनती हैं. अच्छी ट्रेन चलती है. अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होते हैं. 


दयालु पूंजीवाद को अपनाना सबसे अच्छा विकल्प


नारायणमूर्ति के मुताबिक. भारत जैसे देश में जहां पूंजीवाद की जड़ें गहरी नहीं है, वहां मैं महसूस करता हूं कि उद्यमिता को लेकर काफी प्रयोग करने की जरूरत है. इसके लिए हम सभी को मिल-जुलकर दयालु पूंजीवाद को गले लगाना होगा. उन्होंने कहा कि समाजवाद और उदारवाद के अच्छे उदाहरणों के साथ दयालु पूंजीवाद अपनाने से देश तेज गति से तरक्की कर सकता है. 


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