इस पत्र को 22 जनवरी से 20 फरवरी के बीच मतदान के लिए रखा जाएगा. इसका नतीजा 24 फरवरी को घोषित किया जाएगा. इंफोसिस ने पारेख की नियुक्ति के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांगी है. पारेख ने दो जनवरी से अपना कार्यकाल संभाल लिया है जो पांच साल का है.
ऐसे होगा वेतन का कुल ब्रेकअप
- कंपनी का पारेख को 6.5 करोड़ रुपये (तयशुदा वेतन) और 9.75 करोड़ रुपये के वार्षिक वैरिएबल भुगतान का अधिकतम 125% (जो 12.18 करोड़ रुपये तक होगा) देने का प्रस्ताव है, लेकिन यह कुछ निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर प्रदान किया जाएगा.
- इसके अलावा पारेख को 3.25 करोड़ रुपये के प्रतिबंधयुक्त शेयर भी दिए जाएंगे. साथ ही उन्हें कार्यप्रदर्शन के आधार पर 13 करोड़ रुपये के शेयर अनुदान के तौर पर मिलेंगे. उन्हें 9.75 करोड़ रुपये का एकबारगी शेयर अनुदान भी दिया जाएगा.
- पारेख शेयर के रुप में दिए जाने वाले अपने पारितोषिक का लाभ पांच साल के कार्यकाल में समय-समय पर उठा सकेंगे.
विशाल सिक्का की सैलरी पर हुआ था विवाद
पिछले साल अगस्त में कंपनी के सीईओ का पद छोड़ने वाले विशाल सिक्का को 2016-17 के लिए कुल 45.11 करोड़ रुपये का वेतन दिया गया. इसमें बोनस और शेयर अनुदान की राशि शामिल थी.
इंफोसिस के संस्थापकों ने पिछले साल शीर्ष अधिकारियों के वेतन में अभूतपूर्व बढ़त और नौकरी छोड़कर जाने पर भारी-भरकम पैकेज देने पर चिंता व्यक्त की थी. अगस्त में सिक्का और निदेशक मंडल के चेयरमैन आर. शेषशयी के इस्तीफा देने के बाद कंपनी के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने कंपनी के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाली और दिसंबर में पारेख को सीईओ और प्रबंध निदेशक पद के लिए चुना गया. पारेख कैपजेमिनी में काम कर चुके हैं.
विप्रो-टीसीएस में कम मिली सैलरी
इंफोसिस की प्रतिद्वंदी कंपनी विप्रो के सीईओ अब्दाली नीमचवाला को 2016-17 में 20.9 लाख डॉलर (13.2 करोड़ रुपये) का वेतन दिया गया. वहीं इसी अवधि में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) के सीईओ राजेश गोपीनाथन को 6.22 करोड़ रुपये वेतन प्राप्त हुआ.
पारेख के कॉन्ट्रेक्ट में न्यूनतम प्रदर्शन लक्ष्य को पाने में असफल रहने की स्थिति में उन्हें कितना भुगतान किया जाएगा, इसका भी प्रावधान किया गया है. उनके एंप्लॉयर कॉन्ट्रेक्ट में नॉन-कॉन्पटीशन का प्रावधान भी है, जिसके तहत वह यहां से छोड़कर छह महीने तक किसी प्रतिद्वंदी कंपनी में नहीं जा सकते हैं.
वहीं इस पोस्टल बैलेट में यू.बी. प्रवीण राव के पद को दोबारा तय कर इसे सीएफओ यानी चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर और पूर्णकालिक निदेशक करने की भी अनुमति मांगी गई है.
इंफोसिस भारत के आईटी सेक्टर की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक है. इसे आईआईटी में पढ़े एन नारायणमूर्ति ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर खड़ा किया था. इंफोसिस का हेडक्वार्टर कर्नाटक के बंग्लुरू में स्थित हैं.
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