नई दिल्लीः ‘विशाल’ मुसीबत से उबरने की कोशिश में लगी इंफोसिस ने अपने निवेशकों को कुछ राहत देने का प्रस्ताव किया है. कंपनी के निदेशक बोर्ड ने शनिवार को 13 हजार करोड़ रुपये के शेयर वापस खरीदने यानी बायबैक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब शेयरधारकों की मंजूरी मिलने के बाद इस प्रस्ताव पर अमल होगा.


प्रस्ताव के तहत




  • कुल मिलाकर 11,30,43,478 शेयर वापस खरीदे जाएंगे

  • एक शेयर 1150 रुपये की कीमत पर खऱीदे जाएंगे

  • शुक्रवार को शेयर का बंद भाव 923.10 रुपये

  • सभी तरह के शेयरहोल्डर वापस बेचने के लिए कर सकते हैं आवेदन


16 अगस्त, 2017 के आंकड़े बताते हैं कि इंफोसिस में 7.07 लाख से कुछ ज्यादा शेयरहोल्डर हैं जिनके पास 229.69 करोड़ से भी ज्यादा शेयर हैं. कुल निवेशकों में पौने सात लाख से भी ज्यादा छोटे निवेशक हैं. छोटे निवेशक का यहां मतलब ऐसे निवेशक से है जिसके पास दो लाख रुपये से कम कीमत के शेयर हैं. बायबैक का सबसे ज्यादा फायदा इन्ही छोटे निवेशकों को मिल सकता है जिन्हे अपने शेयर बाजार भाव से ऊपर की कीमत पर कानूनी तरीके से बेचने का मौका मिलेगा.


निवेशकों के लिए ये राहत भरी खबर ऐसे समय में आयी जब विशाल सिक्का के प्रबंध निदेशक-सह-मुख्य कार्यकारी पद से इस्तीफे के बाद शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली. शुक्रवार यानी 18 अगस्त को इंफोसिस के शेयर बीएसई पर साढ़े नौ फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट के बाद 923.10 रुपये पर बंद हुए. जानकारों की मानें तो बायबैक की खबरें पहले से ही अपेक्षित थी, लिहाजा सोमवार को बाजार में इसका शेयरें पर बहुत ज्यादा असर देखने को शायद ही मिले.


सिक्का-मूर्ति विवाद
मध्य प्रदेश में जन्मे सिक्का को 12 जून 2014 की इंफोसिस का सीईओ नियुक्त किया गया था. नियुक्ति के कुछ समय बाद से ही प्रमोटर के साथ विवाद की खबरें आनी लगी. खास तौर पर नारायणमूर्ति के साथ उनके मतभेद सुर्खियां बनी. शुक्रवार को ही एक अखबार ने नारायणमूति को वो बयान प्रमुखता से छापा कि सिक्का सीईओ के बजाए चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बनने के योग्य है. इसके पहले कंपनी छोड़ने वाले अधिकारियों को भुगतान के मुद्दे पर भी नारायणमूर्ति अपनी आपत्ति जता चुके हैं.


बोर्ड का सिक्का को समर्थन
फिलहाल, शुक्रवार को कंपनी के निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में भी इन मतभेदों का इशारों-इशारों मे जिक्र कर दिया गया. यहां कहा गया कि बोर्ड सिक्का के इस्तीफे की वजहों को समझता है, लेकिन उसे उनके फैसले पर खेद भी है. हाल के दिनो में कंपनी प्रबंधन के सदस्यों पर लगाए गए व्यक्तिगत आक्षेपों से निराशा हुई है, लेकिन उसका मानना है कि ये आरोप निराधार है. बोर्ड पहले भी कह चुका है तमाम आरोपों की गहरायी से जांच करायी गयी, लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला. बोर्ड ने ऐसे तमाम आलोचकों को आड़े हाथों लिया जिन्होंने गलत आरोप लगा और जिससे कर्मचारियों पर नैतिक रुप से प्रभाव पड़ा, साथ ही कंपनी को सीईओ का नुकसान हुआ.