Infra: देरी के चलते इंफ्रा सेक्टर के 386 प्रोजेक्ट्स की लागत महंगी, 4.7 लाख करोड़ रुपये एक्स्ट्रा कॉस्ट बढ़ी
1505 प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,21,793.23 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 25,92,537.79 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है यानी कुल प्रोजेक्ट कॉस्ट में 22 फीसदी से भी ज्यादा का इजाफा.
Infra Projects: बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 386 प्रोजेक्ट्स की लागत तय अनुमान से 4.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ी है.
386 प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ी
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स की निगरानी करता है. मंत्रालय की जुलाई, 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1505 प्रोजेक्ट्स में से 386 की लागत बढ़ गई है, जबकि 661 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं.
प्रोजेक्ट्स की लागत 22.19 फीसदी बढ़ी
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,505 प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,21,793.23 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 25,92,537.79 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि इन प्रोजेक्ट्स की लागत 22.19 फीसदी यानी 4,70,744.56 करोड़ रुपये बढ़ गई है.’’ रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई, 2022 तक इन प्रोजेक्ट्स पर 13,50,275.69 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 52.08 फीसदी है.
प्रोजेक्ट्स की देरी का औसत 41 महीने से ज्यादा का
हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि प्रोजेक्ट्स के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही प्रोजेक्ट्स की संख्या कम होकर 511 पर आ जाएगी. वैसे इस रिपोर्ट में 581 प्रोजेक्ट्स के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 661 प्रोजेक्ट्स में से 134 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 114 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 289 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 124 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी से चल रही हैं. इन 661 प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी का औसत 41.83 महीने है.
ये हैं देरी के मुख्य कारण
इन प्रोजेक्ट्स में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है. इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन प्रोजेक्ट्स में विलंब हुआ है.
ये भी पढ़ें