इंश्योरेंस कंपनियां पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल यानी PUC सर्टिफिकेट के न रहने पर इंश्योरेंस क्लेम से इनकार नहीं कर सकती हैं. इरडा ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट न रहने पर बीमा का क्लेम देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. इरडा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक बीमा कंपनियां उन वाहनों का इंश्योरेंस री-न्यू नहीं करेंगी, जिनका पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं हैं. लेकिन ऐसी खबरें आ रही हैं कि इसकी आड़ में कुछ कंपनियां इंश्योरेंस क्लेम देने से इनकार कर रही हैं, जो सही नहीं है.


IRDA ने बरती थी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट मामले में सख्ती 


बीमा सेक्टर के नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों से कहा है के वे प्रदूषण कंट्रोल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वाहन मालिकों की ओर से पीयूसी सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद ही पॉलिसी को री-न्‍यू किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में इस नियम का ज्यादा सख्ती से पालन कराने को कहा था क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे प्रदूषण की मार ज्यादा है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, पीयूसी पर कड़ाई बरते बीमा कंपनियां 


20 अगस्‍त को जारी इरडा के सर्कुलर में कहा गया था कि सेंट्रल पॉल्‍यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली और एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के पालन की स्थिति के बारे में चिंता जताई है. लिहाजा इस निर्देश का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित किया जाए. जुलाई 2018 में बढ़ते वाहन प्रदूषण पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब तक पीयूसी सर्टिफिकेट न जमा किए जाएं तब तक वाहन इंश्योरेंस पॉलिसी री-न्यू न किए जाएं.


पीयूसी सर्टिफिकेट वाहन मालिक को तब मिलता है जब गाड़ी प्रदूषण कंट्रोल मानकों पर खरा उतरता है. इस सर्टिफिकेट की मदद से पता चलता है कि वाहन का प्रदूषण नियमों के अनुसार है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं है. सभी वाहनों को मान्‍य पीयूसी सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी है. नई गाड़ी के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होती है. वाहन के रजिस्‍ट्रेशन के एक साल के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट लेने की जरूरत पड़ती है. इसे समय-समय पर री-न्‍यू कराना पड़ता है.


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