इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बीमा कंपनियों पर लगे कर चोरी के आरोपों की जांच पूरी कर ली है. जांच में डिपार्टमेंट को बीमा कंपनियों के द्वारा कमिशन के भुगतान में अनियमितताओं का पता चला है और हजारों करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की भी जानकारी मिली है.


इतनी बन सकती है टैक्स देनदारी


ईटी की एक रिपोर्ट में इनकम टैक्स के अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि जांच में 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के भुगतान को छुपाए जाने की जानकारी मिली है. इसके ऊपर करीब 4,500 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी बन सकती है. जांच में बीमा कंपनियों के द्वारा टैक्स चोरी करने के लिए अपनाए जा रहे तरीकों के बारे में भी पता चला है.


जांच के दायरे में ये रहे शामिल


इस जांच के दायरे में 25 से ज्यादा बीमा कंपनियां और 250 से ज्यादा बिजनेस शामिल थे. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इन्वेस्टिगेशन विंग के द्वारा की गई जांच में पता चला है कि एजेंटों तक कमिशन को पहुंचाने के लिए इन बिजनेस का इस्तेमाल किया जा रहा था. जांच में पता चली जानकारियों से असेसिंग ऑफिसर को अवगत करा दिया गया है.


असेसिंग ऑफिसर करेंगे डिमांड


असेसिंग ऑफिसर को टैक्स चोरी के इस मामले में शामिल कंपनियां, कुल रकम और टैक्स चोरी के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है. असेसिंग ऑफिसर अब पूरे मामले को देखने के बाद संबंधित कंपनियों को टैक्स डिमांड जारी करेंगे. टैक्स डिमांड में ब्याज और जुर्माना भी शामिल रहेगा.


डीजीजीआई ने भी की जांच


इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अलावा जीएसटी सतर्कता महानिदेशालय यानी डीजीजीआई ने भी संबंधित बीमा कंपनियों की जांच की है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस बात की जांच कर रहा था कि बीमा विनियामक इरडा के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कथित टैक्स चोरी हुई, वहीं डीजीजीआई फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावों की जांच कर रहा था.


जीएसटी में मिले इतने करोड़


डीजीजीआई मार्च से लेकर अब तक 30 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है और उन्हें 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के जीएसटी भुगतान के लिए कह चुका है. कंपनियों ने अब तक करीब 700 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया है. वहीं कंपनियां डीजीजीआई की कार्रवाई के खिलाफ सक्षम प्राधिकरण के पास अपील करने की भी तैयारी में है.


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