Insurance Companies Employees Strike : देशभर में सरकार से अपनी बात को मनवाने के लिए कर्मचारी समय-समय पर हड़ताल और प्रदर्शन का सहारा लेते है. अब नए साल 2023 की शुरुआत हो चुकी है. इसके पहले ही सप्ताह में बड़ी हड़ताल की खबर सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश की 4 बड़ी पब्लिक जनरल इंश्योरेंस कंपनियों (Insurance Companies) के 50 हज़ार से अधिक कर्मचारियों ने 4 जनवरी 2023 को हड़ताल (Strike) पर जाने की बात कही है. इसके पीछे सरकारी बीमा कंपनियों के पुनर्गठन का प्रस्ताव बताया जा रहा है.
JFTU यूनियन ने क्या कहा
जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के ज्वॉइंट फोरम ऑफ ट्रेड यूनियन (JFTU) का आरोप है कि प्रस्तावित बदलावों के बाद सरकारी क्षेत्र की इकाइयां कमजोर हो जाएंगी. JFTU यूनियन का कहना है कि प्रस्तावित बदलावों में दफ्तरों का बंद होना और मर्जर शामिल है, जिसमें मुनाफे वाले दफ्तर भी शामिल है. साथ की परफॉर्मेंस इंडिकेटर (KPI) भी लगाया जा सकता है.
ये है बड़ी वजह
यूनियन का आरोप है कि देशभर में पिछले कुछ सालों के अंदर करीब 1000 दफ्तर, जिनमें से ज्यादातर टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में स्थित हैं, वे बंद हो चुके हैं. इसका कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के बड़े स्तर पर बंद होने और हजारों दफ्तरों के मर्जर से न केवल पॉलिसीधारकों पर असर पड़ा है, बल्कि नागरिकों पर भी बड़ा प्रभाव हुआ है. इससे निजी बीमा कंपनियों को भी टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में बाजार पर कब्जा करने में मदद मिलेगी.
करीब 50,000 कर्मचारी करेंगे हड़ताल
कर्मचारियों की यूनियन ने कहा कि 4 बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (National Insurance Company Limited), ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (Oriental Insurance Company Limited), न्यू इंडिया एश्योरेंस लिमिटेड (New India Assurance Limited), यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (United India Insurance Company Limited) और GIC Re के करीब 50,000 कर्मचारी और अफसर 4 जनवरी को एक दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं.
ये लगाया आरोप
यूनियन ने बयान में आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पता चला है कि ज्वॉइंट सेक्रेटरी सौरभ मिश्रा अपनी मर्जी के मुताबिक नेशनल इंश्योरेंस के बोर्ड पर दबाव डाल रहे हैं. उसने कहा कि मिश्रा पहले भी चीफ टेक्नीकल ऑफिसर की नियुक्ति में अपने करीबीयों के लिए बड़ा पैकेज मांग चुके हैं.
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