ब्याज दर पर महंगाई दर का गहराया साया
अभी तो ब्याज दर स्थिर रहने के आसार हैं, लेकिन अगर महंगाई दर बढी तो ब्याज दर बढ़ सकती है.
नई दिल्लीः महंगाई दर कुछ इसी तरह बढ़ती रही तो ब्याज दरें बढ़ सकती है, ये कहना है पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील मेहता का. उधर, बैंक ने 31 मार्च को खत्म होने वाले मौजूदा कारोबारी साल यानी 2017-18 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान खुदरा कर्ज में 22 फीसदी बढ़ोतरी का दावा किया. साथ ही कुल कारोबार 11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की बात कही.
बकौल मेहता, अभी तो ब्याज दर स्थिर रहने के आसार हैं, लेकिन अगर महंगाई दर बढी तो ब्याज दर बढ़ सकती है. मेहता का ये बयान ऐसे समय में आया है जब रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति नीतिगत ब्याज दर में फेरबदल पर अपना फैसला सुनाएगी. वैसे तो उम्मीद है कि समिति इस बार नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं करे, लेकिन अनुमान है कि आने वाले दिनों में ये स्थिति नहीं रहेगी और लंबे समय के बाद नीतिगत ब्याज दर में चौथाई फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
ध्यान रहे कि दिसंबर के महीने के लिए खुदरा महंगाई दर 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर आते हुए पांच फीसदी की मनौवैज्ञानिक सीमा को पार कर कर गयी. ध्यान रहे कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य वैसे तो 4 फीसदी है, लेकिन इसमें दो फीसदी तक की कमी-बेसी स्वीकार्य होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो खुदरा महंगाई दर कम से कम दो फीसदी और ज्यादा से ज्यादा छह फीसदी होनी चाहिए.
बैंक के वित्तीय नतीजे इस बीच, बैंक ने ऐलान किया कि तीसरी तिमाही में उसका मुनाफा 11.1 फीसदी बढ़कर 230.1 करोड़ रुपये हो गया है. बीते कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में उसका मुनाफा 207.2 करोड़ रुपये रहा था. ब्याज से आय की बात करें तो ये 6.9 फीसदी बढ़कर 3,989 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. दूसरी ओऱ फंसे कर्ज यानी एनपीए में कुछ कमी देखने को मिल रही है. कुल एनपीए 13.11 फीसदी से घटकर 12.11 फीसदी पर आ गया. वहीं वसूली और प्रावधानों के बाद यानी नेट एनपीए 8.44 फीसदी से घटकर 7.55 फीसदी रहा है.
कुल कर्ज के मामले में स्थिति बेहतर होती दिख रही है. बैंक का कहना है कि तीसरी तिमाही में कुल कर्ज 17 फीसदी बढकर ये करीब पौने पांच लाख करोड़ रुपय. के करीब आ गया. खास बात ये रही कि खुदरा कर्ज में 22 फीसदी की बढ़ोतरी. अकेले घर कर्ज 19 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा जबकि गाड़ियों के लिए कर्ज देने के मामले में बढ़ोतरी की दर 16 फीसदी से भी ज्यादा की रही.