Interest Rate Reduction Benefit: होमलोन कारलोन या फिर अन्य लोन लेने वाले लोग हमेशा यही सोचते हैं कि जिस भी बैंक से वे लोन ले रहे हैं ब्याज दरों के घटने पर वो उन्हें सस्ते कर्ज का फायदा जरुर दे. जिससे कर्ज लेने वाले पर से ईएमआई का बोझ कम हो सके. इसी बात को ध्यान में रखकर हुए लोग बैंकों या हाउसिंग फाइनैंस कंपनी या एनबीएफसी का चुनाव कर करते हैं. ऐसे में ये सवाल उठता है कि ईएमआई को सस्ता करने में कौन आगे है सरकारी क्षेत्र के बैंक या निजी बैंक.
इस सवाल का जवाब दिया है बजट से पहले संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे ने. 2021-22 के इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि सरकारी क्षेत्र है बैंक ब्याज दरें के घटने पर अपने ग्राहकों को सस्ते ईएमआई का फायदा देने में सबसे आगे हैं. सर्वे के मुताबिक ब्याज दरों में कमी के बाद सबसे तेजी और जल्द उसका फायदा अपने ग्राहकों को देने के मामले में सरकारी बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों से कहीं आगे हैं.
यह इस बात से भी स्पष्ट है कि फरवरी 2019 से नवंबर 2021 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए रुपये के ऋण पर भारित औसत उधार दर (WALR) में 2.10 फीसदी यानि 210 बेसिस प्वाइंट्स की कमी आई है जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों में केवल 1.77 फीसदी यानि 177 बेसिस प्लाइंट्स की कमी आई है. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की बकाया राशि ) औसत उधार दरों की गणना के लिए भार के रूप में लिया जाता है। बीपीएस का मतलब आधार अंक होता है और 100 बीपीएस का एक प्रतिशत होता है।
इकोनॉमिक सर्वे की मानें तो अगर आप इस महामारी के दौरान बैंकों से कर्ज लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये बात तय है कि सरकारी बैंक से निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले आपको सस्ते दर पर कर्ज मिलेगा भले ही आपका क्रेडिट प्रोफाइल एक है.
वहीं जिन लोगों ने मौजूदा समय में पहले से कर्ज ले रखा है उनके लिए ब्याज दरों में कटौती होने पर सस्ते कर्ज का फायदा देने में सरकारी बैंक निजी बैंकों से कहीं आगे हैं. फरवरी 2019 से नवंबर 2021 के बीच ऐसे कर्जदाताओं के लिए सरकारी बैंकों ने 1.35 फीसदी कर्ज सस्ता किया है जबकि निजी बैंकों ने ने केवल 1.23 फीसदी कर्ज सस्ता किया है. शुरुआती दौर में निजी बैंकों ने शिथिलता बरती लेकिन बाद में उन्होंने कर्जदाताओं को सस्ते कर्ज का फायदा दिया. मौजूदा कर्जदार जो एमसीएलआर व्यवस्था के तहत अपना कर्ज चुका रहे हैं, उन्हें भी इस कटौती का फायदा मिला है.
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