ब्याज दरें कम होने से EMI घटने के साथ-साथ होंगे ये बड़े फायदे
नई दिल्लीः नया साल शुरू होते ही बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, एनबीएफसी ने अपने कर्ज की ब्याज दरों में कटौती करने की झड़ी लगा दी है. एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी, बंधन बैंक. देना बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक से लेकर इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस ने भी अपने लोन के इंटरेस्ट रेट काफी घटाए हैं. ऐसे में ये तो तय है कि ग्राहकों के लोन की ईएमआई कम होगी लेकिन इसके साथ देश की इकोनॉमी और विभिन्न सेक्टर के लिए लोन सस्ते होना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. ऑप्टिमा मनी मैनेजर के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल ने अलग-अलग सेक्टर और इंडस्ट्रीज पर ब्याज दरों के कम होने के असर से जुड़ी जानकारी दी है.
सवालः बैंको और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की ब्याज दरें काम होने का ग्राहकों पर कितना वास्तविक असर होगा? बैंकों के लोन कितने सस्ते होंगे और ग्राहकों की ईएमआई कितनी काम होगी?
जवाबः बैंकों ने अपने अपने हिसाब से एमसीएलआर घटाया है. जहां यूनियन बैंक ने एमसीएलआर 0.65 फीसदी से घटाया है वहीं एसबीआई ने 0.90 फीसदी से एमसीएलआर कम किया है. ऐसे में स्वाभाविक हैं कि सभी बैंकों की ईएमआई में कटौती एक सामान नहीं होगी. साथ ही एमसीएलआर जिस दर से कम होता है आपके ब्याज की दरें उसी सामान दर से कम नहीं होती. उदहारण के तौर पर यदि एसबीआई ने एमसीएलआर 90 बेसिस पॉइंट यानि की 0.90 फीसदी से कम किया है तो ग्राहकों के लिए घर कर्ज पर ब्याज दरें 0.60 फीसदी से कम हुई हैं.
ब्याज दरें कम होने से ग्राहकों की ईएमआई कम होना तो स्वाभाविक है. उदहारण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति ने 9.10 फीसदी की दर से 20 साल की अवधि के लिए 20 लाख का कर्ज लिया है तो उसे 18,123 रुपये की ईएमआई चुकानी पड़ती थी किन्तु ब्याज की दर 0.5 फीसदी से घटकर यदि 8.60 फीसदी हो जाती है तो उतने ही लोन पर नयी ईएमआई 17,483 रुपये हो जायेगी. हालांकि ब्याज दरें कम होने पर बैंक सामान्य तौर पर अपने पुराने ग्राहकों की ईएमआई कम नहीं करते लेकिन इसका फायदा यह होता है आपका लोन समय से पहले चुकता हो जाता है.
सवालः रियल्टी और प्रॉपर्टी सेक्टर पर क्या असर होगा? डिमांड बढ़ेगी या बिल्डर और डेवलपर्स को क्या अपने प्रोजेक्ट सस्ते करने होंगे
जवाबः ब्याज दरें कम होने से डिमांड बढेगी और साथ ही ईएमआई कम होने से ग्राहकों की लोन लेने की क्षमता भी बढ़ जायेगी और उनके लिए घर खरीदना आसान हो जाएगा. निर्माण गतिविधियों में तेजी आएगी और रियल्टी प्रोजेक्ट तेजी से पूरे होंगे और सस्ते लोन मिलने से उनकी लागत भी कम हो सकती है.सवालः बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ पर क्या असर होगा और क्या हाउसिंग कंपनियां कारोबार बढ़ा पाएंगी?
जवाबः नोटबंदी के चलते बैंकों के पास लिक्विडिटी काफी है और लोन की डिमांड कम है ऐसे में ब्याज दरें कम होने से क्रेडिट ग्रोथ पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा और हाउसिंग कंपनियों को इसका फायदा होगा.
सवालः बैंकों की ब्याज दरें कम होने का किसी और सेक्टर या इकॉनोमी के किसी खास सेगमेंट पर किसी तरह का बड़ा असर पड़ेगा क्या?
जवाबः इंडस्ट्रियल सेक्टर या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को इसका विशेष तौर पर लाभ मिलेगा. इंडस्ट्री को कम ब्याज पर कर्ज मिलेगा जिससे औद्योगिक एक्टीविटीज, कंस्ट्रक्शन एक्टीविटीज, मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आएगी.