Interest Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर ब्याज दरें (Interest Rate) घटाने का दबाव बढ़ने लगा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बैंकों से कर्ज पर ब्याज दरों को अफोर्डेबल (Affordable) रखने की नसीहत दी है. वित्त मंत्री के मुताबिक ज्यादातर लोगों को मानना है कि उधार लेना बहुत महंगा हो चुका है. वित्त मंत्री के मुताबिक विकसित भारत (Viksit Bharat) के लक्ष्य को साबिल करने के लिए ये जरूरी है कि कर्ज पर ब्याज दरें सस्ती रहे जिससे कारोबार को विस्तार दिया जा सके और नई जगहों में निवेश के लक्ष्य को हासिल किया सके.
बैंकों से ब्याज दरें घटाने की अपील
एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा, मौजूदा समय में कर्ज पर ऊंची ब्याज दरें कारोबार के लिए दिक्कतें पैदा कर रहा है. वित्त मंत्री ने बैंकों से ब्याज दरें घटाने की अपील करते हुए इसे अफोर्डेबल बनाने को कहा है. वित्त मंत्री सीतारमण ने खाद्य महंगाई पर नियंत्रण लाने के लिए ब्याज दरों के इस्तेमाल करने के तरीके पर ज्यादा चर्चा किए जाने की अपील की है. वित्त मंत्री ने कहा कि खाद्य महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार लगातार सप्लाई से जुड़े मुद्दों का समाधान करने में जुटी है.
खाद्य महंगाई सप्लाई चेन की समस्या!
वित्त मंत्री ने कहा कि टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों के चलते महंगाई का दबाव बना हुआ है. जबकि दूसरी चीजों की महंगाई दर कम है. वित्त मंत्री ने कहा, मैं इस चर्चा का हिस्सा नहीं बनना चाहती कि ये नष्ट होने वाली खाद्य वस्तुएं महंगाई को मापने वाले इंडेक्स में शामिल होना चाहिए या नहीं या ये केवल सप्लाई चेन की समस्या है. दरअसल निर्मला सीतारमण मोदी सरकार की पहली मंत्री नहीं है जिन्होंने ब्याज दरों को कम करने की नसीहत दी है. पिछले हफ्ते ही वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार करने को कहा है. वाणिज्य मंत्री ने मॉनिटरी पॉलिसी निर्णयों के लिए खाद्य महंगाई पर आरबीआई के अत्यधिक निर्भरता की नीति पर भी सवाल खड़े किए.
RBI गवर्नर और केंद्रीय मंत्रियों की राय अलग!
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की राय कुछ अलग है. आरबीआई गवर्नर साफ कर चुके हैं कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में सब्जियों और फूड आईटम्स के कीमतों को हटाकर महंगाई को कम करने की बात करना आम लोगों के साथ न्याय नहीं होगा. अगस्त 2024 में अपने बयान में उन्होंने कहा, हमें जनता के हिसाब से सोचने की जरूरत है जिन्हें अपने आय का 50 फीसदी खाने-पीने की चीजों पर खर्च करना पड़ता है. उन्होंने कहा, जनता ये सोचने को जरूर मजबूर होगी कि इतनी सैलेरी में खाद्य वस्तुओं पर इतना खर्च करना पड़ा है फिर कैसे सरकार और आरबीआई कह रही है कि महंगाई कम हो रही है?
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