देश के करीब 50 करोड़ कामगारों को आगामी बजट में खुशखबरी मिल सकती है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 6 साल के अंतराल के बाद इस बार न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो इससे करोड़ों लोगों के जीवन पर सीधा और सकारात्मक असर होगा.


2021 में बनाई गई थी एक्सपर्ट कमिटी


देश में न्यूनतम मजदूरी यानी मिनिमम वेज में आखिरी बार 2017 में बदलाव हुआ था. उसके बाद से न्यूनतम मजदूरी में अब तक एक बार भी बढ़ोतरी नहीं हुई है. मिनिमम वेज में सुधार के लिए 2021 में एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई थी. ईटी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसपी मुखर्जी की अगुवाई वाली एक्सपर्ट कमिटी जल्द ही अपने सुझाव पेश कर सकती है और उसके बाद मिनिमम वेज को बढ़ाया जा सकता है.


कमिटी ने पूरा कर लिया अपना काम


रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि मुखर्जी कमिटी ने अपना काम पूरा कर लिया है. कमिटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है. अब बस कमिटी की एक अंतिम दौर की बैठक की देरी है. रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सरकार मिनिमम वेज की नई लिमिट को नोटिफाई कर सकती है. कमिटी का कार्यकाल भी जल्दी ही समाप्त होने वाला है. कमिटी को जून 2024 तक के लिए बनाया गया था.


कुछ महीने बाद होने वाले हैं चुनाव


अभी से दो सप्ताह बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करने वाली हैं. यह बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट है. फरवरी में संसद के बजट सत्र के बाद कभी भी देश में चुनाव की घोषणा हो सकती है. लोकसभा का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-मई के दौरान देश में लोकसभा चुनाव हो सकते हैं.


अंतरिम बजट में सीमित हैं विकल्प


लोकसभा चुनावों से पहले यह अंतरिम बजट आ रहा है. चुनावों को देखते हुए एक्सपर्ट अंतरिम बजट के चुनावी बजट होने की भी उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि अंतरिम बजट में सरकार के पास बहुत ज्यादा करने की गुंजाइश नहीं रहती है. अंतरिम बजट में टैक्स के मोर्चे पर बदलाव होने की उम्मीद कम रहती है. ऐसे में सरकार के पास जो सीमित विकल्प बचते हैं, मिनिमम वेज हाइक उनमें से एक है. यही कारण है कि बजट में इससे जुड़ा ऐलान होने की उम्मीद मजबूत है. बजट सत्र के बाद सरकार चुनावों से पहले उसे अधिसूचित भी कर सकती है.


अभी इतनी है न्यूनतम मजदूरी


भारत में अभी मिनिमम वेज यानी न्यूनतम मजदूरी 176 रुपये प्रति दिन है. 2017 में आखिरी बदलाव के बाद महंगाई काफी बढ़ी है और जीवन-यापन की लागत भी ऊपर गई है. इस कारण लंबे समय से मिनिमम वेज को बढ़ाने की मांग हो रही है. देश में अभी करीब 50 करोड़ कामगार हैं, जिनमें से 90 फीसदी अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के हैं. मिनिमम वेज बढ़ाने से उन्हें सीधा फायदा होगा.


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