देश में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) शायद निवेश का सबसे बेहतर विकल्प होगा. लेकिन एफडी के अलावा भी कुछ विकल्प हैं जो उससे कहीं ज्यादा रिटर्न आपको दे सकते हैं. इन्हीं में एक एक है कॉरपोरेट या कंपनी एफडी में निवेश. बैंक में निवेश करने पर आपको 5 से 6% तक ब्याज मिलेगा. वहीं कॉर्पोरेट FD में निवेश करने पर आप 10% से ज्यादा कमा सकते हैं. हालांकि यह विकल्प एफडी के मुकाबले ज्यादा जोखिम भरा है. जानें इस कॉरपोरेट एफडी के बारे में.
कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए पूंजी जुटाने का काम करती हैं. एक निश्चित अवधि के लिए निवेशक से कंपनियां पूंजी लेती हैं जिसे कॉरपोरेट एफडी कहा जाता है. कंपनियां निवेशक से विज्ञापन के जरिए निवेश करने के लिए कहती हैं. निवेशक को आकर्षित करने के लिए इस एफडी पर कंपनियां बैंक और अन्य फाइनेंस कंपनियों से ज्यादा ब्याज देती हैं. क्योंकि, इन कंपनियों के पास कंपनी कानून तहत के डिपॉजिट लेने का अधिकार होता है. कंपनियों के कॉरपोरेट FD पर ब्याज दर अधिक होता है इसलिए इसमें निवेश करना बेहतर होता है.
कितनी सुरक्षित
बैंक एफडी के लोक्रपिय होने की सबसे बड़ी वजह यह है कि निवेश के लिए इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है. रिजर्व बैंक के सख्त नियमों का बैंक एफडी में पालन किया जाता है. अगर बैंक दिवालिया हो जाता है तो ऐसी स्थिति में भी एफडी की राशि चाहे जितनी हो, एक लाख रुपए तक की राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के तहत सुरक्षित रहेगी.
दूसरी तरफ कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट पर इस तरह की सुरक्षा नहीं होती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपका इन्वेस्टमेंट जोखिम भरा है. आप जब भी किसी कंपनी के कॉर्पोरेट एफडी में निवेश करें तो पहले उस कंपनी की क्रेडिट रेटिंग जरूर देख लें.
अगर आप कॉर्पोरेट एफडी लेने की सोच रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
- अगर आप जोखिम लेना चाहते हैं तो कॉरपोरेट एफडी का विकल्प चुनें
- ज्यादा क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनी में ही निवेश करना करें
- अगर AAA या AA रेटिंग वाली कंपनियां FD ऑफर कर रही हैं तो उनमें निवेश किया जा सकता है.
- कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले उस कंपनी का 10-20 साल का रिकॉर्ड देख लें.
- उन्हीं कंपनियों के डिपॉजिट में निवेश करें जो मुनाफा कमा रही हैं.
- ऊंची ब्याज दर के साथ क्या जोखिम जुड़े हैं उस पर भी गौर कर लेना चाहिए.
टैक्स बेनिफिट
यह ध्यान रखें कि बैंक और कंपनी डिपॉजिट पर निवेशक आयकर की जिस स्लैब में आता है उसके मुताबिक टैक्स लगता है. आयकर कानून 1961 के तहत यदि बैंक एफडी पर एक साल में ब्याज 10,000 रुपए से अधिक बनता है तो स्रोत पर टैक्स कटौती (टीडीएस) की जाती है. कंपनी एफडी में इसकी सीमा 5,000 रुपए है.
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