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Emergency Fund: भविष्य की अनिश्चितताएं कर रही हैं परेशान? ‘इमरजेंसी फंड’ है हर आने वाली समस्या का समाधान!

What is Emergency Fund: मुश्किल समय बता कर नहीं आता है. इस कारण हर किसी को आकस्मिक जरूरतों के लिए अपने हिसाब से पूरी तैयारी रखनी चाहिए...

जीवन में कभी अच्छा तो कभी बुरा दौर चलता रहता है. यह ऐसा क्रम है, जिससे कोई नहीं बच पाता है. हां, अगर सही से तैयारियां की जाएं और अच्छी योजना बनाकर चला जाए, तो परेशानियों को कम जरूर कर सकते हैं. खासकर फाइनेंशियल टर्म्स में परेशानियों को आसानी से कम कर पाना संभव है. इसके लिए आपको बस सही योजना की दरकार है और इस दिशा में पहला कदम है इमरजेंसी फंड.

इमरजेंसी फंड क्यों है जरूरी?

मुश्किल वक्त में इमरजेंसी फंड सुरक्षा कवच की तरह काम करता है. कई बार जीवन में ऐसा समय आता है जब अचानक से पैसों की जरूरत पड़ जाती है. जैसे बीमारी, एक्सीडेंट, कारोबार में घाटा, वेतन में कट जाना, नौकरी चली जाना या परिवार में किसी की मौत, इस तरह की इमरजेंसी से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड होना चाहिए. इमरजेंसी फंड मुश्किल वक्त में पैसों से मदद करता है. कर्ज यानी लोन लेने से बचाता है. यही नहीं, मौजूदा वक्त में आपके जो निवेश चल रहे हैं उन्हें टूटने से बचाता है, ताकि आपको लॉन्ग टर्म में निवेश का पूरा फायदा मिले. निवेश तोड़कर पैसे निकालना और उससे मुश्किल वक्त में काम चलाना लोगों के बीच सबसे आम है.

कितना बड़ा होना चाहिए इमरजेंसी फंड?

मुसीबत किसी भी रूप में आ सकती है. वो गाड़ी खराब होनी जैसी छोटी या फिर नौकरी छूटने जैसी बड़ी इमरजेंसी हो सकती है, जो कई महीनों तक चल सकती है. ऐसी स्थिति में आपको न केवल घर के खर्चे चलाने होंगे बल्कि EMI और क्रेडिट कार्ड जैसी देनदारियां भी चुकानी होंगी. इसलिए किसी भी शख्स को ऐसा इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए जो कम से कम परिवार के 3 से 6 महीने के खर्चों का ख्याल रख सके.

इस तरह से करें कैलकुलेशन

इमरजेंसी फंड जोड़ने के लिए सबसे पहले आपको अपने सारे मंथली खर्च कैलकुलेट करने हैं. फिर देखना है इनके बाद आपके पास कितना पैसा बच रहा है. इनमें से एक फिक्स अमाउंट आप इमरजेंसी फंड के लिए हर महीने निकाल सकते हैं. अगर आपके पास कोई सरप्लस मनी यानी अतिरिक्त पैसा पड़ा है तो उसे भी इसमें शामिल कर सकते हैं.

इस बात का जरूर रखें ध्यान

इमरजेंसी फंड का पहला काम बिना देरी के तब आपकी मदद करना है. जब आपको पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत हो. कुछ इमरजेंसी सिचुएशंस में आपको तुरंत या कुछ घंटे में या कुछ दिन में पैसों की जरूरत पड़ सकती है. इसलिए आपके इमरजेंसी फंड का कुछ हिस्सा ऐसे रूप में होना चाहिए, जो आपको तुरंत मिल सके. इसे ध्यान रखते हुए इमरजेंसी कॉर्पस के कुछ फंड को कैश या सेविंग्स अकाउंट में रख सकते हैं. एक महीने के खर्च को कैश और सेविंग्स अकाउंट में रिजर्व रखा जा सकता है.

एफडी और आरडी अच्छे विकल्प

इमरजेंसी फंड के बाकी पैसों को आप फिक्स्ड डिपॉजिट यानी FD में डाल सकते हैं. इसमें सेविंग्स अकाउंट के मुकाबले ब्याज यानी रिटर्न ज्यादा है. FD को आसानी से भुनाया यानी इससे पैसे निकाले जा सकते हैं. FD में आपको एक वर्किंग डे में पैसे मिल सकते हैं. हालांकि, मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर ब्याज का नुकसान उठाना होगा. आप स्वीप-इन FD की सुविधा भी ले सकते हैं. इसमें सेविंग्स अकाउंट में पड़े एक्सेस पैसे आटोमैटिक FD अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते हैं. वैसे ही सेविंग्स अकाउंट में बैलेंस कम होने पर FD से पैसा इसमें आ जाते हैं. इमरजेंसी फंड के लिए आप रेकरिंग डिपॉजिट यानी RD का भी सहारा ले सकते हैं. इसमें आप हर महीने एक छोटे अमाउंट से निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें रिटर्न यानी ब्याज फिक्स है.

ये ऑप्शन भी हैं मददगार

कई जानकार इमरजेंसी फंड का कुछ हिस्सा लिक्विड म्यूचुअल फंड्स में रखने की भी सलाह देते हैं. इसमें सेविंग्स अकाउंट और कुछ मामले में फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न है. इसमें 8-9 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है. हालांकि, रिटर्न मार्केट कंडीशंस पर निर्भर करते हैं. FD के मुकाबले इसमें लिक्विडिटी थोड़ी कम है. पैसे खाते में आने में 1 से 3 दिन लग सकते हैं, लेकिन पैसे निकालने पर कोई पेनल्टी नहीं है.

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