US China Trade War: अमेरिका और चीन में लंबे समय से ट्रेड वॉर चलती आ रही है. इसके चलते दोनों देशों के कारोबारी संबंध तनाव में ही रहते हैं. इसके अलावा चीन की इकोनॉमी भी भी आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है. वहीं, पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका के कारोबारी और राजनीतिक रिश्ते मधुर होते जा रहे हैं. ऐसे में अब चीन में अपना कारोबार फैलाकर बैठीं अमेरिकी कंपनियां नए रास्ते तलाशना चाहती हैं. उन्हें चीन के बाद सबसे उपयुक्त देश भारत लग रहा है. 


एक रिपोर्ट के अनुसार, जल्द ही 15 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां भारत को अपना नया घर बना सकती हैं. ये अपने साथ लाखों करोड़ रुपये का निवेश भी लेकर आएंगी. इससे भारत में न सिर्फ विदेशी निवेश बढ़ेगा बल्कि लाखों रोजगार भी पैदा होने की पूरी संभावना है. 


करीब 15 कंपनियां भारत जाने की इच्छुक 


यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स (US Chamber of Commerce) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों में चीन से बाहर निकलने की इच्छा तेज होती जा रही है. लगभग 50 कंपनियां इस बारे में अपना मन बना चुकी हैं. इन्होंने चीन में करीब 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है. इनमें से लगभग 15 अपना कारोबार भारत ले जाना चाहती हैं. इस रिपोर्ट में 306 कंपनियों को शामिल किया गया था. 


लिस्ट में 5वें से दूसरे नंबर पर आया भारत 


रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निवेशकों को अब मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत ज्यादा पसंद आ रहा है. निवेशकों की पसंद पर आधारित इस रिपोर्ट में पिछले साल भारत 5वें नंबर पर रहा था. इस साल भारत दूसरे नंबर पर आ गया है. पहले नंबर पर दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र है. इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया अब भी निवेशकों की पहली पसंद बना हुआ है. निवेशकों के बीच चीन अपना चार्म खोता चला जा रहा है.


इन कंपनियों को पसंद आ रहा भारत 


रिपोर्ट के अनुसार, मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनियों को भारत बहुत पसंद आ रहा है. पिछले साल करीब 40 फीसदी अमेरिकी कंपनियां चीन में निवेश की योजना बना रही थीं. अब वो भारत जाना चाहती हैं. मैनेजमेंट कंसल्टिंग सेक्टर में 54 फीसदी कंपनियों ने ऐसी इच्छा जताई है. गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी भारत में निवेश को लेकर अपनी रुचि दिखाई है. प्राथमिकता जाहिर की है. यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में शामिल 306 अमेरिकी कंपनियों में से ज्यादातर ने माना कि भारत में निवेश के लिए अच्छा माहौल बन रहा है. भारत का बड़ा बाजार भी उन्हें प्रोत्साहित कर रहा है.


कोरोना के बाद बदल गया चीन का माहौल


कोरोना के बाद चीन में निवेश का माहौल तेजी से बदला हैं. सख्त पॉलिसी विदेशी कंपनियों को रास नहीं आ रहीं हैं. सरकार ने बेरोजगारी और बूढ़ी होती आबादी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव किए हैं. चीन में 16 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3 फीसदी तक पहुंच गई है. यह 3 दशकों में सबसे ज्यादा है. साथ ही देश की बूढ़ी होती आबादी भी एक समस्या बन गई है. चीन की आर्थिक स्थिरता भी इस समय नाजुक हालत में है.


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