शेयर बाजार में इन दिनों ताबड़तोड़ आईपीओ लॉन्च हो रहे हैं और उन्हें जम कर रिस्पॉन्स मिल रहा है. खास तौर पर आईपीओ के प्रति खुदरा निवेशकों का रुझान जबरदस्त तरीके से तेज हुआ है. हालांकि ज्यादातर खुदरा निवेशकों को आईपीओ में शेयर अलॉट नहीं होने की शिकायत रहती है. इसके लिए खुदरा निवेशक तरह-तरह के तिकड़म भिड़ाने में लगे रहते हैं, ताकि उन्हें भी आईपीओ में शेयर अलॉट हो जाएं.


ये तिकड़म भिड़ा रहे हैं खुदरा निवेशक


मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईपीओ में शेयर मिलने के चांस को बढ़ाने के लिए खुदरा निवेशक शेयरहोल्डर की कैटेगरी पर फोकस कर रहे हैं. दरअसल बाजार में पहले से लिस्टेड कई कंपनियां अपनी सब्सिडियरी के आईपीओ लॉन्च कर रही हैं. उदाहरण के लिए हाल ही में लॉन्च हुआ बजाज हाउसिंग फाइनेंस आईपीओ और कुछ समय पहले आया टाटा टेक्नोलॉजी आईपीओ. बजाज समूह से बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व पहले से बाजार में लिस्टेड हैं. टाटा समूह की टीसीएस समेत कई कंपनियां बाजार में मौजूद हैं.


शेयरहोल्डर्स के लिए रिजर्व कैटेगरी


इस तरह के आईपीओ में समूह की कंपनियों के शेयरहोल्डर्स के लिए एक हिस्सा आरक्षित रखा जाता है. मतलब वह आरक्षित हिस्सा वैसे इन्वेस्टर्स के लिए होते हैं, जिनके पास पहले से समूह की कंपनियों के शेयर होते हैं. बजाज हाउसिंग फाइनेंस के आईपीओ में भी ऐसा देखा गया. इस तरह के मामले में इन्वेस्टर पहले लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदकर शेयरहोल्डर्स के रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा रहे हैं. उसके बाद वे आईपीओ के लिए शेयरहोल्डर की कैटेगरी में अप्लाई कर रहे हैं.


आईपीओ पर टूट पड़ते हैं खुदरा निवेशक


बाजार के जानकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति में आईपीओ में शेयर मिलने के चांसेज वाकई में बढ़ जाते हैं. आज कल देखा जा रहा है कि किसी भी अच्छे आईपीओ के खुलने के बाद कुछ ही घंटे में खुदरा निवेशकों की कैटेगरी पूरी तरह से भर जाती है. 3 दिनों के दौरान कई गुना बोलियां आ जाती हैं. उसके बाद अलॉटमेंट का फैसला लॉटरी के आधार पर होता है.


इस तरह बढ़ते हैं शेयर मिलने के चांस


शेयरहोल्डर्स की कैटेगरी भी ओवरसब्सक्राइब होती है, लेकिन उसमें भीड़ रिटेल कैटेगरी की तुलना में कम रहती है. हालांकि सभी आईपीओ में ऐसा हो ये जरूरी नहीं है. जैसे बजाज हाउसिंग के आईपीओ में रिटेल कैटेगरी में 7.41 गुना सब्सक्रिप्शन आया, लेकिन शेयरहोल्डर्स की कैटेगरी को 18.54 गुना सब्सक्राइब किया गया. हालांकि ऐसे मामलों में इन्वेस्टर रिटेल और शेयरहोल्डर दोनों कैटेगरी में पैसे लगाकर चांस बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. ज्यादा पैसे लगाने में सक्षम इन्वेस्टर एचएनआई कैटेगरी में भी किस्मत आजमा रहे हैं.


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