IPO Market Update: शेयर बाजार में गिरावट (Share Market Fall) के बीच यह वित्त वर्ष आईपीओ (IPO Market) के लिहाज से ठीक नहीं रहा है. वित्त वर्ष के आखिरी कुछ महीने के दौरान तो गिने-चुने आईपीओ ही देखने को मिले. हालांकि अगला वित्त वर्ष आईपीओ बाजार के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है, क्योंकि करीब 54 कंपनियां आईपीओ लाने की तैयारी कर रही हैं.
ऐसा रहा चालू वित्त वर्ष
चालू वित्त वर्ष यानी वित्त वर्ष 2022-23 की बात करें तो इस दौरान कुल 38 कंपनियों ने आईपीओ के मार्फत कुल 52,600 करोड़ रुपये जुटाए. इन 38 कंपनियों में से महज दो के शेयरों की लिस्टिंग 50-50 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम के साथ हुई. ड्रीमफॉल्क्स सर्विसेज (Dreamfolks Services) का शेयर 55 फीसदी और इलेक्ट्रॉनिक्स मार्क इंडिया (Electronics Mark India) का शेयर 52 फीसदी प्रीमियम पर लिस्ट हुआ. इस वित्त वर्ष में सबसे अहम रहा सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी (Life Insurance Corporation of India) का आईपीओ, जो करीब 9 फीसदी के डिस्काउंट पर लिस्ट हुआ.
फायदा कम, नुकसान वाले ज्यादा
इस वित्त वर्ष में लिस्ट हुए कुछ शेयरों ने ही शानदार प्रदर्शन किया. इस दौरान बाजार में उतरे दो शेयर हरिओम पाइप इंडस्ट्रीज (Hariom Pipe Industries) और वीनस ट्यूब्स एंड पाइप्स (Venus Tubes and Pipes) के शेयर मल्टीबैगर साबित हुए. हरिओम पाइप इंडस्ट्रीज ने करीब 225 फीसदी और वीनस ट्यूब्स एंड पाइप्स ने करीब 125 फीसदी का रिटर्न दिया. हालांकि ओवरऑल साल खराब ही रहा, क्योंकि ज्यादातर आईपीओ इन्वेस्टर्स के पैसे डूबोने वाले साबित हुए. एलआईसी, उमा एक्सपोर्ट्स (Uma Exports) और एलिन इलेक्ट्रॉनिक्स (Elin Electronics) सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले शेयरों में शामिल रहे. चालू वित्त वर्ष में इन्होंने निवेशकों को करीब 40-40 फीसदी का नुकसान कराया.
इतनी रकम जुटाने की योजना
01 अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 की बात करें तो इस दौरान 54 कंपनियां आईपीओ लाने की कतार में हैं. प्राइम डेटाबेस के अनुसार, अगले वित्त वर्ष के दौरान आईपीओ लाने के लिए 54 कंपनियों को सेबी की मंजूरी मिली हुई है और ये कंपनियां ओपन मार्केट से 76,189 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास करने वाली हैं. इनके अलावा 19 अन्य कंपनियां भी हैं, जो सेबी की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं और उनकी योजना 32,940 करोड़ रुपये जुटाने की है.
सुस्त बाजार का हुआ असर
आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के दौरान 68 कंपनियों ने सेबी के पास आईपीओ लाने का ड्राफ्ट जमा किया. वहीं इस वित्त वर्ष के दौरान 37 कंपनियों ने अपनी मंजूरी को बर्बाद होने दिया. यानी इन कंपनियों ने सेबी की मंजूरी मिल जाने के बाद भी आईपीओ को टालना उचित समझा. ये कंपनियां मिलकर करीब 52 हजार करोड़ रुपये जुटाने वाली थीं. इस दौरान 12 कंपनियों ने अपने ड्राफ्ट को वापस ले लिया, जबकि सेबी ने अपनी ओर से 9 कंपनियों के ड्राफ्ट को लौटा दिया.
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