Iran-Israel War: ईरान-इजरायल जंग के दौरान अंतराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) के दाम में गिरावट देखी जा रही है. WTI Crude में 1.20 फीसदी की गिरावट के बाद 74.65 डॉलर प्रति बैरल के रेट देखे जा रहे हैं. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क यानी ब्रेंट क्रूड 1.21 फीसदी सस्ता हुआ है और ये 78.08 डॉलर प्रति बैरल के रेट पर  आ गया है. 


बीते दिन रविवार को उत्तरी इजराइल पर हमले से बदले हालात


इजरायली अधिकारियों के मुताबिक रविवार को बिन्यामीना के पास आईडीएफ बेस पर हिजबुल्लाह ने ड्रोन हमला किया. उत्तरी इजरायली शहर बिन्यामीना में इजरायली सेफ्टी फोर्स के चार सैनिक मारे गए और दर्जनों के घायल होने की खबरें हैं. 


कच्चे तेल के रेट में उठापटक के दौर से कैसे निपट रहा भारत 


ईरान-इजरायल संघर्ष के ज्यादा गहराने से पहले जब कच्चे तेल के दाम काफी स्थिरता दिखा रहे थे तो भारत में भी पेट्रोल-डीजल के रेट सस्ते होने की आशा-उम्मीदें सामने आने लगी थीं. हालांकि जैसे ही मिडिल ईस्ट में जंग के शोले भड़के, कच्चे तेल के दाम में आग लगने जैसी खबरें आने लगीं. साफ तौर पर भारत के लिए ये स्थिति थोड़ी असमंजस वाली थी, लिहाजा सरकारी सूत्रों के हवाले से ये बात आने लगी कि अभी सरकार देश में पेट्रोल-डीजल के भाव घटाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि अगर क्रूड ऑयल के दाम में ऐसी ही बढ़त रहेगी तो आगे चलकर देश के नागरिकों को उसकी आंच से बचाना पड़ेगा.


भारत कैसे निपटेगा इस उठापटक के दौर से


भारत अपनी तेल जरूरतों का 40 फीसदी इस समय रूस से आयात कर रहा है और ईरान से तेल इंपोर्ट काफी कम प्रतिशत है. इस कारण के चलते भारत में एकदम से तो घबराहट वाली स्थिति नहीं बनने की उम्मीद हैं, पर सरकार इन उपायों पर भी विचार कर रही है..


केंद्र सरकार इस समय कच्चे तेल में तेजी की संभावना से इंकार नहीं कर रही है और इसलिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को निर्देश हैं कि वो कच्चे तेल में जारी उठापटक पर नजर रखें. कच्चा तेल महंगा होने के बाद रुपये में गिरावट आने की आशंका है. इसके अलावा आम लोगों को पेट्रोल-डीजल के रेट पर फिलहाल राहत नहीं मिली है, हालांकि अगर सरकार चुनावी माइलेज लेने की कोशिश करेगी तो आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के पहले शायद ट्रांसपोर्ट फ्यूल सस्ता भी हो सकता है.


जियो पॉलिटिकल तनावों का असर भारत पर भी आने की आशंका तो है लेकिन आरबीआई ने अपनी इसी एमपीसी बैठक के बाद कहा है कि वो स्थिति पर नजरें बनाए हुए है. ईरान-इजरायल जंग के असर से रुपये में गिरावट ना आए, इसका ध्यान केंद्रीय बैंक रख रहा है और साथ ही कई अन्य उपायों पर काम किया जा रहा है.


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