IRDA ने जारी किए नए दिशानिर्देश, कंपनियों को देना होगा अल्जाइमर, पार्किन्संस जैसी गंभीर बीमारियों पर भी बीमा कवर
इंश्योरेंस रेगुलेटर इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए जो नए गाइडलाइंस जारी किए हैं उनके मुताबिक अब से कई गंभीर बीमारियों को भी कवर में लाना होगा जिन्हें पहले इंश्योरेंस कवर के अंतर्गत नहीं लाया जाता था.
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नई दिल्लीः हेल्थ इंश्योरेंस हम सब के लिए दिनोंदिन काफी महत्वपूर्ण होता जा रहा है और इसके लिए आम जनता में जागरुकता भी बढ़ रही है. इरडा या इंश्योरेंस रेगुलेटरी या डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर भी कई गाइडलाइंस जारी की हैं और इनका मकसद पॉलिसीहोल्डर्स के हितों को सुरक्षित रखना होता है.
अब इरडा ने जो नए दिशानिर्देश जारी किए हैं उनके तहत पहले से मौजूद बीमारियों या प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों के कवर के बारे में भी स्पष्ट निर्देश मिल चुके हैं. वहीं इरडा ने एक बड़ा फैसला भी लिया है कि कई बड़ी बीमारियों जैसे अल्जाइमर, एड्स, पार्किन्संस को भी इंश्योरेंस कवर में शामिल किया जाए. इसका साफ अर्थ है कि बीमा रेगुलेटर इरडा ने हेल्थ कवर के दायरे में कई और गंभीर बीमारियों को जोड़ने का फैसला लिया है.
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अल्जाइमर, पार्किन्संस, कैटरेक्ट जैसी बीमारियां होंगी कवर माना जा रहा है कि लाखों हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स को इसका फायदा मिल पाएगा. सोमवार को जारी की गई नई गाइडलाइंस के मुताबिक आयु के साथ होने वाली समस्याएं जैसे नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी, अल्जाइमर, पार्किन्संस, कैटरेक्ट जैसी बीमिरियां भी अब हेल्थ कवर के दायरे में आएंगी.
इसके अलावा बीमा कंपनियों के लिए दिए गए नए निर्देशों के मुताबिक वो फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों, खतरनाक कैमिकल्स के संपर्क में रहने वाले कर्मचारियों के इलाज से भी बीमा कंपनियां इंकार नहीं कर पाएंगी. इसका साफ अर्थ है कि इंश्योरेंस कंपनी को खतरनाक गतिविधियों से होने वाली बीमारियों, मानसिक बीमारियों का इलाज, आर्टिफीशियल लाइफ मेंटीनेंस, उम्र से संबंधित क्षरण और अंदरूनी पैदायशी बीमारियों को कवरेज में शामिल करना होगा.
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कवर न करने वाली इलनेस का साफ मेंशन करना होगा इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल न होने वाली बीमारियों का भी केटेगरी वाइज डिस्ट्रीब्यूशन या क्राइटेरिया तय कर दिया है. इसके तहत अगर बीमा कंपनी कुछ खास बीमारियों जैसे मिर्गी, गंभीर किडनी की बीमारियों या एचआईवी एड्स जैसी को कवर नहीं करना चाहती हैं तो उसे पॉलिसी की शर्तों में इरडा द्वारा तय किए गए खास शब्दों का प्रयोग करना होगा. उसके लिए भी कंपनी को 30 दिन से 1 साल के भीतर का वेटिंग पीरिएड बताकर रखना होगा. हालांकि वेटिंग पीरिएड खत्म होने के बाद कंपनी को इन बीमारियों पर कवर देना पड़ेगा.
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